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CCCCCCCCCCCCCCCCCCCCCCCCCCCC जम्बलीप का स्थापत्य एवं संक्षिप्त विवरण
श्रीमती फूलकुवर जैन
प्राध्यापक माधव महाविद्यालय उज्जैन (म.प्र.) 980993000999d$s3090003829989 संक्षिप्त रूप रेखा
जम्बूद्वीप का स्थापत्य जम्बूद्धीप का स्थापत्य
___ यह तीन लोक अनादि-निधन-अकृत्रिम
है । इसको बनाने वाला कोई भी ईश्वर जम्बूद्वीप का विस्तार
आदि नहीं है। इसके मध्य भाग में कुछ जम्बूद्वीप की परिधि
कम चौदह राजु लंबी एक राजु चौड़ी और जम्बूद्वीप का क्षेत्रफल जम्बूद्वीप की जगती
मोटी सनाळी है। इसमें सात राजु अधो
लोक है एवं सात राजु ऊंचा ऊर्ध्वलोक है वेदिका
तथा मध्य में निन्यानवे हजार चालीस योजन विशेष
ऊंचा सुमेरु पर्वत है । इसकी नींव एक हजार जम्बूद्वीप के प्रमुख द्वार विजय आदि देवों के नगर
योजन है जो कि चित्रा पृथ्वी के अन्दर है। वन खण्ड वेदिका
चित्रा पृथ्वी के ऊपर के समभाग से लेकर
सुमेरु पर्वत की ऊंचाई निन्यानवे हजार जम्बूद्वीप का संक्षिप्त विवरण
चालीस योजन है। . तीन सो ग्यारह पर्वत कहां है ? जम्बू- मध्यलोकके ठीक बीचो-बीच में एक दीप की सम्पूर्ण नदियां कितनी हैं और कहां योजन विस्तृत गोलाकार जम्बूद्वीप है। कहां है ?
__ जम्बूद्वीप का विस्तार : मध्यलोक में चौंतीस कम भूमि
असंख्यात द्वीप-समुद्रों से वेष्टित गोल तथा छह भोग भूमि
जबू वृक्ष से युक्त जंबूद्वीप । यह एक लाख जम्बू वृक्ष-शाल्मली वृक्ष
योजन विस्तार वाला है। चाँतीस आर्यखण्ड
जबूद्वीप की परिधि : तीन लाख सोलह एक सो सित्तर म्लेच्छ खण्ड
हजार दो सौ सत्ताइस योजन, तीन कोश वेदी और वनखण्ड
एक सो अट्ठाईस धनुष ओर कुछ अधिक जम्बूद्वीप के अठत्तर जिन चैत्यालय साढे तेरह अंगुल है, अर्थात् लगभग इस जम्बू- द्वीप में हम कहां हैं ?
१२६४९०८००० मील है ।
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