Book Title: Jain Vidya Ke Vividh Aayam
Author(s): Fulchandra Jain
Publisher: Gommateshwar Bahubali Swami Mahamastakabhishek Mahotsav Samiti
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________________ 164 73. दक्षिण भारत के जैनाचार्यों का आयुर्वेद के विकास में योगदान - डॉ. हरिश्चन्द्र जैन, जामनगर 163 74. दक्षिण भारत के जैनाचार्यों का जैन-न्याय के विकास में योगदान - पं. शान्ति पाटिल, जयपुर 75. तमिल जैन-साहित्य को श्रमणों की देन - पं. सिंहचन्द्र जैन शास्त्री, चेनई 167 76. जैन-संस्कृति का मुकुटमणि कर्णाटक एवं उसकी यशस्विनी कुछ श्राविकाएं - प्रो. डॉ. श्रीमती विद्यावती जैन, नोयडा 168 77. स्वतन्त्रता संग्राम में दक्षिण भारतीय जैन महिलाओं और पुरुषों का योगदान - डॉ. ज्योति जैन, खतौली 170 78. आश्चर्यकारी ग्रन्थ-सिरि-भूवलय - डॉ. महेन्द्रकुमार जैन 'मनुज', इन्दौर . 173 79. जैन गणित का वैशिष्ट्य - डॉ. अनुपम जैन, इन्दौर 176 80. आयुर्वेद के विकास में जैन मनीषियों का योगदान - आचार्य राजकुमार जैन, इटारसी .178 81. जैन ज्योतिष-परम्परा का वैशिष्टय - डॉ. जयकुमार एन. उपाध्ये, नई दिल्ली 182 82. षद्रव्य और उनकी अर्थक्रियाकारित्व - डॉ. दामोदर शास्त्री, नई दिल्ली 185 83. जैनदर्शन में षद्रव्य और उनका अर्थक्रियाकारित्व __ - डॉ. धर्मचन्द्र जैन, जोधपुर 187 84. जैन तत्त्वमीमांसा का वैशिष्ट्य - सुश्री डॉ. राजकुमारी जैन, अजमेर 188 85. जैनधर्म के मूलतत्त्व और व्यावहारिक वेदान्त - स्वामी ब्रह्मेशानन्दजी, चण्डीगढ़ 86. जैन समुदाय भारत और विदेशों में : एक जनसंख्यात्मक अध्ययन - डॉ. प्रकाशचन्द्र जैन, दिल्ली 87. जैन पत्रकारिता : दशा और दिशा - अखिल बंसल, जयपुर 88. जैन पुस्तकालयों के विकास के उपाय एवं दिशा-निर्देश - डॉ. संजीव सर्राफ, वाराणसी 200 89. Jaina Kings in India - Prof Satya Ranjan Banerjee 194 195 197 203 -VIL