Book Title: Jain Tattva Pariksha Author(s): Udayvijay Gani Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ८ ) बिरुदा साथै उपाध्यायपद श्रीसंघना अपार हर्ष साथै आपवामां आव्युं छे आ शुभप्रसंगे गोलवाड विगेरे प्रान्तना हजारो माणसो तथा अमदावाद - खंभात-भावनगर - बोटाद विगेरे स्थलोना शेठ माणेकलाल भाइ मनसुखभाइ- शेठ प्रतापसिंहभाइ मोहोला भाइ तथा तत्वविवेचक सभाना सभासदो तथा शेठ अमरचंद जसराज - शेठ पोपटभाइ अमरचंद-शेठ छगनभाइ अमरचंद विगेरे अनेक गृहस्था पवार्या हता. आ शुभ प्रसंगे - सादरीना - नथमलजी मूलचंदवाला तथा भूरजी पूनमचंद विगेरे ग्रहस्थोए समवसरणनी रचना- नवकारशी - ओ मेरे शासनोन्नति कार्यमा पुष्कल द्रव्यनो व्यय कर्यो हतो तेमज शेठ मनसुखभाइना पुत्ररत्न शेठ माणेकलाल भाइ मनसुखभाइए पण आ शुभप्रसंगे-जुदा जुदा गामोना धार्मिककार्योमा पुष्कल सखावतो करी वीतराग धर्मनी अनुमोदना करावी छे तेमज अमदावादनी श्री तत्त्वविवेचक सभाना मेम्बरो तथा भावनगरना शेठ अमरचंद जसराज तथा खंभातना शेठ पोपटभाइ अमरचंद तथा शेठ छगनभाइ अमरचंद विगेरे ग्रहस्थो पण शासनोन्नतिना सत्कार्योंमां द्रव्यव्यय कयों छे. आ प्रसंगे पन्यासजी श्री प्रेमविजयजीगणीजी तथा पन्यासजी श्रीसुमतिविजयजीगणिजीने पण उपाध्यायपद आपवामां आयुं छे. आवी रीते जे महात्माना उपाध्यायपदना महोत्सव प्रसंगे शासनोन्नतिना शुभकार्यो थया तेमज जेमना विद्वत्ता विगेरे सद्गुणो सुप्रसिद्धज छे तेज महात्मा सिद्धान्तवाचस्पति न्यायविशारद अनुयोगाचार्य ओ ही श्री महोपाध्यायजी श्रीउदद्यविजयजीगणिजी आ ग्रन्थना कर्ता छे आ ग्रन्थ उपरांत ते ओश्रीए बीजा पण अनेक ग्रन्थोनी रचना करी छे अमे आशा राखीये छीये के हलवे हलवे ते ग्रन्थो For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
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