Book Title: Jain Tattva Pariksha
Author(s): Udayvijay Gani
Publisher: Jain Granth Prakashak Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रसिद्धिमां मूकायेलो छे. __ग्रन्थकर्ता तेमज उपयुक्त ग्रन्थकर्ताओ के जेओए जैनप्रजाने ज्ञानदान करी उपकार कर्यों छे तेओनो अन्तःकरणपूर्वक आभार मानीये छोये, अने आवा शिष्यरत्नोने विद्वान् बनावनार भट्टारकश्रीमान् सूरीश्वरजीमहाराजनो पण अमो वारंवार अन्तः करणपूर्वक आभार मानीये छीये, तेमज उपर्युक्त महात्माओ तथा बीजा शिष्योने ज्ञानमां मदद करनार शेठ मनसुखभाइ भगुभाइ तथा तेमना पुत्ररत्न शेठ माणेकलालभाइने धन्यवाद आपवापूर्वक तेओश्रीनी धर्मकार्यनी अमो अनुमोदना करीये छीये. __ आ ग्रन्थ छपाववामां द्रव्यनी सहाय आपनार-मांडवीनी पोलना रहीश-बरीया जमनादास हीराचंदनो पण अमो आभार मानीये छीये-छेवटे उपयुक्त महात्माओ जैनकोमना हितने माटे अनेक ग्रन्थोनी रचना करे तेमज अन्य मुनिमहाराजाओ पण आवीज रीते जैनकोमना हितने माटे ग्रन्थोनी रचना करी उपकार करे तेटलं कही अमे आ प्रस्तावना संपूर्ण करीये छीये. आ ग्रंथमा मुद्रणदोपथी या दृष्टिदोषथी भूल रही गइ होय तो सुधारी सुज्ञो वांचशे. लिः श्रीश्रमणसंघ चरणकमलोपासक वाडीलाल मापुलाल शाह. For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54