________________
अ०७/प्र०२
यापनीयसंघ का इतिहास / ५४५ में गणराज्य की चर्चा थी, इसी आधार पर चेटक को वहाँ का गणराज अथवा नियुक्त राष्ट्रपति मान लेना एक बात है और उसके सम्बन्ध में उस बात को साबित करनेवाले प्रमाण देना दूसरी बात है। आज तक जो-जो बातें चेटक के सम्बन्ध में हमने सोची हैं, उन सब से तो यही सिद्ध होता है कि चेटक विदेह का सत्ताधारी राजा था। उज्जयिनी के चण्डप्रद्योत, सिन्धु-सौवीर के उदायन, वत्स-कौशाम्बी के शतानीक और मगधपति श्रेणिक जैसे स्वतंत्र सत्ताशाली राजाओं से उसका वैवाहिक सम्बन्ध भी यही बता रहा है कि चेटक एक सत्ताशाली राजा था।
"लड़ाई के समय 'वज्जी' जाति का उसके विरुद्ध कोणिक के पक्ष में मिल जाना भी यही बताता है कि आस-पास के राष्ट्रों की स्वतंत्रता से प्रभावित होकर ही वज्जियन लोगों ने भी चेटक को राज्यधुरा से वंचित करने के लिये मगधपति का पक्ष लिया होगा। इन सब बातों के पर्यालोचन से तो यही प्रमाणित होता है कि चेटक एक स्वतंत्र-सत्तावान् राजा था।१२५ इस हालत में कोणिक के साथ की लड़ाई में उसके पराजित होने पर उसका पुत्र शोभनराज कलिंग के राजा सुलोचन के पास गया हो और वहाँ उसको राज्य मिला हो, तो क्या आश्चर्य है?
"४. चौथी दलील का सम्पूर्ण उत्तर ऊपर के विवेचन से दिया जा चुका है।
"५. पाँचवीं दलील यह है कि दिगम्बर जैनशास्त्र ‘उत्तरपुराण' में राजा चेटक के दस पुत्रों के जो नाम लिखे हैं, उनमें 'शोभनराज' नाम नहीं है। ठीक है, उत्तरपुराण में 'शोभनराय' नाम न सही, पर उत्तरपुराण कौनसा प्रामाणिक इतिहासग्रन्थ है कि जिसकी प्रत्येक बात पर हम अधिक वजन दे सकें। जो पुराण उदायन को कच्छ देश का
१२५. "बाबू कामताप्रसाद जी स्वयं भी इस विषय में पहिले संशयात्मा थे कि वैशाली में
गणराज्य था या राजराज्य? इस बात का कुछ भी निर्णय नहीं किया जा सकता। देखिये इनकी 'भगवान् महावीर' नामक पुस्तक का निम्न लिखित फिकरा-"उस समय के अन्य प्रभावशाली राज्य मगधादि से अपने को सुरक्षित रखने के लिए बहुत संभव है कि इन राज्यों ने इस प्रकार एक गणराज्य कायम कर लिया हो। किन्तु इस विषय में कोई निश्चयात्मक निर्णय नहीं दिया जा सकता है, जब तक कि उस जमाने के
और हाल मालूम न हो जावें। अत एव महाराज चेटक और नृप सिद्धार्थ किसी न किसी रूप में क्रम से वैशाली और कुण्डलपुर के अधिपति थे, जैसा कि जैनशास्त्र प्रगट करते हैं।" (भगवान् महावीर / पृ. ६४)। परन्तु अब आप इस लेख में निश्चय के साथ लिखते हैं कि “विदेह देश में तब साम्राज्यवाद के स्थान पर एक प्रकार का प्रजातंत्रवाद प्रचलित था। चेटक उस राष्ट्र के राष्ट्रपति नियुक्त थे।" क्या मैं पूछू कि बाब साहब को अब कौन नये प्रमाण मिले हैं. जिनके आधार पर आपने यह निश्चयात्मक निर्णय कर लिया कि 'चेटक नियुक्त राष्ट्रपति थे'?" लेखक।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org