Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 01
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 830
________________ ६३४ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड १ - संस्कृतटीका : ब्रह्मदेव। १७९. ब्रह्मसूत्र : बादरायण व्यास। मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली। ई० सन् १९९८ । - शांकरभाष्य : श्री शंकराचार्य। १८०. ब्रह्माण्डपुराण (खण्ड १,२) : प्रकाशक-डॉ० चमनलाल गौतम, संस्कृति संस्थान, बरेली (उ० प्र०) ई० सन् १९८८। १८१. भक्तपरिज्ञा : वीरभद्र। बालाभाई ककलभाई, अहमदाबाद। वि० सं० १९६२। १८२. भगवती-आराधना (भाग १) : शिवार्य। जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर। ई० सन् १९७८। १८३. भगवती आराधना : शिवार्य। जैन संस्कृति संरक्षक संघ, शोलापुर। ई० सन् २००६ । - विजयोदयाटीका : अपराजित सूरि। - प्रस्तावना एवं अनुवाद : सिद्धान्ताचार्य पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री। १८४. भगवती-आराधना : शिवार्य। प्रकशक : विशम्बरदास महावीरप्रसाद जैन सर्राफ, देहली १८५. भगवती-आराधना : शिवार्य। प्रकाशक : हीरालाल खुशालचंद दोशी, फलटण। ई० सन् १९९० । - विजयोदयाटीका : अपराजित सूरि। - अनुवाद : सिद्धान्ताचार्य पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री। १८६. भगवतीसूत्र : एक परिशीलन-आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि। प्रकाशक-श्री तारक गुरु जैन ग्रन्थालय, उदयपुर (राज.)। वि० सं० २०४९।। १८७. भगवद्गीता : शांकरभाष्य। १८८. भगवान् महावीर का अचेलकधर्म : पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री। भारतवर्षीय दि० जैन संघ, चौरासी, मथुरा। वि० सं० २००१। १८९. भगवान् महावीर और महात्मा बुद्ध : कामता प्रसाद जैन। वीर नि० सं० २४५३ । १९०. भट्टारक चर्चा : लेखक एवं प्रकाशक-मन्त्री, दिगम्बर जैन नरसिंहपुरा नवयुवक मण्डल, भीण्डर (मेवाड़)। ई० सन् १९४१ । (लेखक-मंत्री महोदय ने अपने नाम का उल्लेख नहीं किया।) १९१. भट्टारकमीमांसा : पं. दीपचन्द वर्णी नरसिंहपुर-निवासी। प्रकाशक : वीर कालूराम राजेन्द्रकुमार परवार, रतलाम। वीरजयन्ती २४५४, सन् १९२७ । ततीय संस्करण के प्रकाशक : स्व० श्री मोहनलाल जी जैन, श्रीमती क्रान्तिबाई जैन, बाहुबली कॉलोनी सागर (म० प्र०)। ई० सन् २००३। १९२. भट्टारकसम्प्रदाय : प्रो० विद्याधर जोहरापुरकर। जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर। ई० सन् १९५८। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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