Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 01
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 839
________________ प्रयुक्त ग्रन्थों एवं शोधपत्रिकाओं की सूची / ६४३ वर्ष किरण मास वीर नि० सं० वि० सं० ई० सन् १ ८-९-१० आषाढ़-श्रावण-भाद्रपद , १ ११-१२ आश्विन-कार्तिक । अनेकान्त (मासिक) के निम्नलिखित अंकों का सम्पादन-स्थान : वीरसेवा मंदिर, समन्तभद्राश्रम, सरसावा (जिला-सहारनपुर) उ० प्र०। वर्ष किरण मास वीर नि० सं० वि० सं० ई० सन् ३ पौष, जनवरी २४६५ १९९५ १९३८ ५ फाल्गुन, मार्च १९३८ ६ चैत्र, अप्रैल " १९९६ १९३९ ९ आषाढ़, जुलाई १९३९ १० प्रथम श्रावण, अगस्त १९३९ १ फरवरी १९४१ ५ १०-११ कार्तिक-मार्गशीर्ष, नवम्बर-दिसम्बर १९९९ १९४२ १२ पौष, जनवरी १९४३ ६ १०-११ मई-जून २००१ १९४४ १२ श्रावण शुक्ल, जुलाई २४७० २००१ १९४४ १-२ भाद्र०-आश्विन, अगस्त-सितम्बर १९४४ ३-४ कार्तिक-मार्गशीर्ष अक्टूबर-नवम्बर २४७१ २००१ १९४४ ५-६ पौष-माघ दिसम्बर-जनवरी १९४४-४५ ७-८ फाल्गुन-चैत्र, फर०-मार्च २००१-२ , १९४५ २ फरवरी १९४६ rrrrrx 5 ८ २४६९ 5 w w o o o ouuuuu १०-११ मार्च-अप्रैल २४७३ २००४ १९४७ ८ १२ आश्विन, अक्टूबर २४७३ १९४७ (वर्ष ८ के मास-सम्बन्धी अनियमित उल्लेख के कारण का निर्देश इसी अंक ___(अक्टूबर १९४७) के आवरण पृष्ठ २ पर किया गया है।) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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