Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 01
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra
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शब्दविशेष-सूची /६१७ स्थूलात्ययदोष (बौद्ध) ३१८
हर्मन जैकोबी, डॉ० (जर्मन विद्वान्) ३२३, स्मिथ (डॉ० बी० ए०) ७१, ३७३, ३७५, ३२४ ३७६
हर्षचरित (बाणभट्ट) १९, २८२ स्याद्वादपरीक्षा प्र० (तत्त्वसंग्रह) ३१२ हलायुधकोश (अभिधानरत्नमाला) २५४, स्याद्वादरत्नाकर (वादिदेवसूरि) ३१२ स्वप्रभामण्डलाच्छादितदेह तीर्थंकर (श्वे०) हल्सी-ताम्रपत्रलेख (मृगेशवर्मा) १०७, १४१, ३६१
३५२ स्वर्णदेश (जावा-सुमात्रा) ४७४ हल्सी-ताम्रपत्रलेख क्र. १०३ (हरिवर्मा) स्वाति (श्वे० आचार्य) ९७
३८९ स्वामिकुमार (स्वामी कार्तिकेय) १३२ हल्सी-ताम्रपत्रलेख क्र. १०४ (हरिवर्मा) स्वामिनी (वलभी के राजा वप्रवाद की ३९० पट्टरानी) ४५६
हस्तापलेखना (भोजन के बाद हाथ चाटना) स्वायम्भुव मनु २६३
३२७ स्वायम्भुव मन्वन्तर (कालप्रमाण) २६६ ।।
हस्तीमल (श्वे० आचार्य) ४, ५८, ६६,
१३३, ४२९, ४९२ हंससंन्यासी २७९
हाथीगुम्फाभिलेख (खारवेल) ४०५, ४०९,
४२२, ४२४, ४२७, ४२८ हठयोगप्रदीपिका २८१
The Häthigumphā Inscription of हठयोगविद्या २८१
Khārvela and The Bhabru Edict हड़प्पा ३९८, ४००, ४०३, ४०५
of Asoka (Dr. Shashikant) ५२४ हड़प्पा-जिनप्रतिमा ३९८, ४००, ४११ हारि (नैगमेशदेव) ३७४ Harappa And Jainism (T.N. Ram- हिन्दू लॉजिक ऐज प्रीजर्ल्ड इन चाइना एण्ड _chandran) ३९८, ४३७, ४४२
जापान (ग्रन्थ) ३०५ हड़प्पा और जैनधर्म (अनुवाद) ३९९ हिन्दू सभ्यता (डॉ० राधाकुमुद मुकर्जी) हरिणिगमिसी, हरिणेगमेसि (नैगमदेव), ३९६ हरिनैगमेसि ३७३, ३७५
हिमवन्त थेरावली ५२६, ५३२-५३६, ५४०हरिद्राभिजाताय श्रावक (अचलानग्रन्थ साधुआ ५४३, ५४७, ५४९-५५१, ५५२ (जाली
के श्रावक-अंगुत्तरनिकय) ३१२, ३२० होने की सूचना), ५५३ हरिभद्रसूरि (श्वे० आचार्य) ४६, ४९, ३५२, हिरिकोपीनङ्ग (ह्रीकौपीनाङ्ग = गुप्तांग) ३४४ ४८५, ५१५, ५७५
History of Jain Monachism (Shantaहरिवंशपुराण १०, ३७४
ram Bhalchandra Deo) ५११,५१८, हरिषेण आचार्य (बृहत्कथाकोशकार) ३७७ ५२०
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