Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 01
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra
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शब्दविशेष-सूची / ६१५ षट्प्राभृत ७६
सञ्जय बेलट्ठपुत्त (अनिश्चयवादी) ३१४षड्दर्शनसमुच्चय (हरिभद्रसूरि) १४६, १४७ ३१६, ३३३
-तर्करहस्यदीपिका वृत्ति (गुणरत्न) सत्तजटिलसुत्त (उदानपालि) ३२२ ४९, ५९, १४७, १४८, २९६, ३०१, सत्तरिसयठाणावृत्ति ३५९ ४८६, ५११, ५७२
सन्तरुत्तरधर्म १९, ८४, १६०
सन्न्यासेन देहत्याग (जाबालोपनिषद्) २७७ संस्कृत-इंग्लिश डिक्शनरी (सर एम० मोनियर सन्यासोपनिषद् २७८, २७९ विलिअम्स) २५४
सन्मतिसूत्र, सन्मतितर्क, सन्मति १० संस्कृत साहित्य का अभिनव इतिहास (रा० । सप्तभंगी-विकासवाद १२ व० त्रिपाठी) २६०, २६२, २६९, २७३
समणब्राह्मण (श्रमणब्राह्मण) ३१४ संस्कृत साहित्य का इतिहास (बल. उपा.)
समन्तभद्र स्वामी ६५, १३२ २६०, २७१
समयसार ६३, ६९, १३७, २२३, २३१ संस्कृत-हिन्दी कोश (वामन शिवराम आप्टे)
-आत्मख्यातिटीका (आ० अमृतचन्द्र) २५३
२२३, ५८८ संस्कृति के चार अध्याय (रामधारीसिंह
समयसुन्दर गणी २३, ५५, ४६३ दिनकर) २९३, ३९६
समवायांगसूत्र २२३, ३६२ सग्रन्थ ६५, १३८
समुद्रविजय ३७४ सङ्गमदेव ३७६
सम्प्रति (मौर्य सम्राट्) ३६५, ४०७, ४१०, सङ्घदासगणि-क्षमाश्रमण १६०, १७६
४१५, ४२९, ४३० संघभेद ४५८, ४७०
सम्भूतिविजय (श्रुतकेवली, श्वे०) ४४७ सङ्घमित्रा (श्वे० साध्वी) ९४, ४५२
सरस्वती (सारस्वत) गच्छ ३६६ सचेल (सचेलक, सवस्त्र) १७७, १७८,
सराक (एक जैन समुदाय) ४७४
सर्वाथसिद्धि टीका ६५, १३०, १४४, २२२, सचेल जैन श्रमणसंघ १४५
५२२ सचेलधर्म १७, ८४
सवस्त्रतीर्थोपदेश १७ सचेल-निर्ग्रन्थसंघ १४५, १४९
सवस्त्रमुक्ति ४५८ सचेलाचेलमार्गी (सचेलाचेल-उभय-मुक्ति
सागरमल (डॉ०) ४, ५, १०-१२, ३२,७४, वादी संघ) ४८६, ४८८, ५७२, ५८६,
७५,८०-८३, १४४,१४५, १४९, ३८१, ५८७
३८६, ३८७, ३८९, ५५६, ५६८ सच्चक (देखिये 'निर्ग्रन्थपुत्र सच्चक')
साङ्ख्यतत्त्वकौमुदी ६८ सारख्यता
१७९
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