Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 01
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra

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Page 821
________________ प्रयुक्त ग्रन्थों एवं शोधपत्रिकाओं की सूची / ६२५ साध्वी विद्युत्प्रभाश्री । पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी । ई० सन् १९९८ । भूमिका : डॉ० सागरमल जैन । ६६. जैन आगम साहित्य : मनन और मीमांसा - श्री देवेन्द्र मुनि शास्त्री । प्रकाशकश्री तारकगुरु जैन ग्रन्थालय, उदयपुर (राज० ) । ई० सन् १९७७ । ६७. जैन कथामाला (भाग ४८ ) ( आधारग्रन्थ : १. उपदेशमाला २. आख्यानक मणिकोश) : मधुकर मुनि । मुनिश्री हजारीमल स्मृति प्रकाशन, ब्यावर ( राज० ) । ६८. जैन तत्त्वविद्या : मुनि श्री प्रमाणसागर जी । भारतीय ज्ञानपीठ नयी दिल्ली। ई० सन् २००० । ६९. जैनधर्म : पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री । भारतीय दिगम्बर जैन संघ, चौरासी, मथुरा (उ.प्र.) । ई० सन् १९७५ । ७०. जैनधर्म और दर्शन : मुनि श्री प्रमाणसागर जी । शिक्षा भारती, कश्मीरी गेट, दिल्ली६ । ई० सन् १९९६ । ७१. जैनधर्म का मौलिक इतिहास ( प्रथमभाग ) : आचार्य हस्तीमल जी । — ७२. जैनधर्म का मौलिक इतिहास (द्वितीय भाग / द्वितीय संस्करण) : आचार्य हस्तीमल जी । जैन इतिहास समिति, जयपुर (राजस्थान) ई० सन् १९८७ । ७३. जैनधर्म का मौलिक इतिहास (तृतीय भाग / प्रथम संस्करण ) : आचार्य हस्तीमल जी। जैन इतिहास समिति, जयपुर (राजस्थान ) । ई० सन् १९८३ । ७४. जैनधर्म का मौलिक इतिहास (चतुर्थ भाग) : आचार्य हस्तीमल जी । जैन इतिहास समिति, जयपुर (राजस्थान ) । ई० सन् १९८७ । ७५. जैन धर्म का यापनीय सम्प्रदाय : डॉ० सागरमल जैन । पार्श्वनाथ विद्यापीठ, वाराणसी। ई० सन् १९९६ । ७६. जैनधर्म की ऐतिहासिक विकासयात्रा : डॉ० सागरमल जैन । प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर (म.प्र.) । ई० सन् २००४ । ७७. जैनधर्म के प्रभावक आचार्य : साध्वी संघमित्रा । जैन विश्वभारती, लाडनूं (राज० ) । ई० सन् २००१ । ७८. जैनधर्म के सम्प्रदाय : डॉ० सुरेश सिसोदिया । आगम, अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान, उदयपुर (राजस्थान ) । ई० सन् १९९४। ७९. जैन निबन्धरत्नावली ( प्रथम भाग ) : पं० मिलापचन्द्र कटारिया एवं श्री रतनलाल कटारिया । प्रकाशक : श्री वीरशासन संघ, कलकत्ता । ई० सन् १९६६ । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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