Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 01
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra
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बूहलर (Buhler), डॉ० ३७३, ३७५, ३८० बृहत्कथाकोश (आ० हरिषेण) १०, ४५३,
४८९
बृहत्कल्पसूत्र ४२, ४३, १५७, ३६३ - लघुभाष्य ( संघदासगणी ) १६०, १६१, १७६, १७८, ४१०
बृहदारण्यकोपनिषद् २५१ बृहद्द्रव्यसंग्रह-ब्रह्मदेववृत्ति २१९
बेचरदास ( पं०) ५८, १०१, १०४, ४४८, ४५०
बोटिक, बोडि (संघ, संम्प्रदाय) २०, २८, ५३, ५४, ५५, ५९, ३०३, ३०४ बोटिकभक्षु ५६
बोटिकमत २३ बोटिकमतोत्पत्तिकथा (बोटिककथा) २०, २१,
२३, ४६८
बोधपाहुड ६२, ६९
- श्रुतसागरटीका ४३४, ४८७
बौद्धग्रन्थ ७२
बौद्धभिक्षु ५६
बौद्धसाहित्य ३१०
बौधायनगृह्यसूत्र २५१
ब्रह्माण्डपुराण २९०
ब्राह्मीलिपि ४७४, ४७७
भ
भगवती आराधना (जैन सं० सं० सं० सोलापुर) १०, १४०, २१२, २१४, २१८, २२३, ४७६
विजयोदयाटीका (अपराजितसूरि )
१०, १२३, १२५, १२८, १३८, १४४,
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शब्दविशेष- सूची / ६०७
१५७, १५८, १६४, १६९, २०९, २१९, २२५, ५२२, ५७७, ५७९ भगवती सूत्र (देखिये, 'व्याख्याप्रज्ञाप्ति') भगवद्गीता २४८, २५१
— शांकरभाष्य २५४ भगवद्वाग्वादिनी ( रत्नर्षि, श्वे०) ५५ भगवान् महावीर और महात्मा बुद्ध (बाबू कामताप्रसाद) ३१०, ३२९, ३३३ भट्टारकपरम्परा (आ० हस्तीमल - कल्पित)
४, ६६
भदन्त आनन्द कौसल्यायन ३२४, ३३४, ३३६ भद्दाकुण्डलकेसा-थेरीगाथा - वण्णा
— निर्ग्रन्थसम्प्रदाय में दीक्षित भद्राकुण्डलकेशा (थेरीगाथा - अट्ठकथा ) ३४६, ३४८, ३५०, ३५१ - श्वेताम्बरसम्प्रदाय में दीक्षित भद्राकुण्डलकेशा ( अपदान ग्रन्थ) ११५, ३१३, ३१४, ३४९, ३५१ भद्रबाहुकथा (प्राकृत भावसंग्रह) ४६३ भद्रबाहुकथानक (बृ.क.को.) १०१, ३८०,
३८२, ४५३, ५८९
भद्रबाहुचरित (रत्ननन्दी) ३७८, ४६०, ४८५, ४९०, ५२०
भद्रबाहु तृतीय ( दिगम्बर) ११५ भद्रबाहुनीत अचेल निर्ग्रन्थसंघ ४७१, ४७२,
• ४७४
भद्रबाहु - विवादकथा (परिशिष्टपर्व ) ४६५ भद्रबाहु श्रुतकेवली ६२, ६३, ६९, ७२, ७४,
१०९, १३२, ३७७, ३७८, ४११, ४२१ (नेपाल में स्थूलभद्र को ८ पूर्वों की
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