Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 01
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra
View full book text
________________
५९८ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड १ चन्द्रकान्त बाली शास्त्री ४०५
छळभिजातसुत्त (अंगुत्तरनिकाय) ३२०, ३२४, चन्द्रक्षान्त मुनि (कूर्चक) ३९०
३३० चन्द्रगुप्त मौर्य (सम्राट) ६३, ७१, ४०७, छह अभिजातियाँ (मनुष्यों की)-तृष्णा४५३, ४५९, ४७४
भिजाति, नीलाभिजाति, लोहिताभिजाति चन्द्रनन्द्याचार्य (दिगम्बर) ५५५
हरिद्राभिजाति, शुक्लाभिजाति, परमचन्द्रलेखा रानी (अर्धफालकसंघ की शिष्या) शुक्लाभिजाति ३२० ४६०
छेदपिण्ड (छेदपिण्डप्रायश्चित्त)१० चमरीबाल-पिच्छिका ४९
छेदशास्त्र १० चाणक्यशतक १८, २५७ चातुर्मास ५६
जटिल (एक सम्प्रदाय) ३२२ चातुर्यामसंवरसंवृत ३१६
जड़योग २७६ चामुण्डराय (गंगनरेश राजमल्ल के महामंत्री) जनमेजय (परीक्षितपुत्र, महाभारत) २५६ ४१२
जम्बूस्वामी २४, २७,९४,१०६,१३२, ४४६, चार्वाकमत २६८
४४७, ४६३, ५१४ चिक्कमागड़ि-वसवण्णमन्दिर-स्तम्भलेख जम्बूस्वामि-निर्वाणानन्तर व्युच्छिन्न हुयीं ४२८, ४३३, ४३४
मनुष्य की दस योग्यताएँ ४४८, ४४९ चिमनलाल जैचंदशाह ३७१, ३७९ जयधवलाटीका ३३१ चीवर १२९
जयभगवान एडवोकेट ३९८ चुल्लपट्टक (कटिवस्त्र, श्वे० साधु) ३७० जयन्तभट्ट (न्यायमंजरीकार) २९२ चूलकालिङ्गजातकवण्णना (जातक अट्ठ- जयसेन आचार्य १३२ कथा) ३३४
जरासन्ध (मगधनरेश) ३७४ चूळसच्चकसुत्त (मझिमनिकाय, भा.१)
जलपवित्र (पानी छानने का वस्त्र) २७७ ३३०, ३३२, ३३३
जातक-अट्ठकथा ३३४ चेटवंश ५२६, ५२७
जातकपाळि ३११ चेदिराष्ट्र ५३७, ५३८
जातकमाला (बौद्ध आर्यशूर) ३५१ चेदिवंश ५२६, ५२७
जातरूप, जातरूपधर २११ । चेलखण्डधर (एलक) २८८, २८९
जापुलिसंघ (यापनीयसंघ) ५१० चेलपरिवेष्टिताङ्ग १४४
जाबालोपनिषद् २७७ चोलपट्ट १७, ८७, १६४, ३७२
जावलिगेय ५१०
जिनकल्प (सचेल, श्वेताम्बरीय) ६, १७, छलवाद ४४५
३९, ८६, ९१, १०२, १०३
छ
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 792 793 794 795 796 797 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826 827 828 829 830 831 832 833 834 835 836 837 838 839 840 841 842 843 844