Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 01
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra
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शब्दविशेष-सूची /६०१ तत्त्वनिर्णयप्रासाद (श्वे० मुनि विजयानन्द तीर्थंकरलिंग ६
सूरीश्वर आत्माराम) ५७, ३६८, ३६९, तुंगिया नगरी ४१७, ४१८ ३७२, ३८७
तुंगीयायन-गोत्रीय आर्य यशोभद्र ४७६ तत्त्वार्थ (तत्त्वार्थसूत्र) १२, ८४, १२४, २२१, तुरीयातीत संन्यासी २७९ २२२
तुरीयातीतोपनिषद् २७९ तत्त्वार्थराजवार्तिक (तत्त्वार्थवार्तिक) १२९,
तैत्तिरीय आरण्यक २४९ २१६
तैत्तिरीयसंहिता २४८ तत्त्वार्थसूत्र (विवेचनसहित-पं० सुखलाल
त्रिपिटक (बौद्धसाहित्य) ३११ संघवी) २१३, २२२, २२७ .
त्रिशला ३७५ तत्त्वार्थसूत्र (बृहत्प्रभाचन्द्र) १० तत्त्वार्थाधिगमभाष्य (तत्त्वार्थभाष्य) १२४,
त्रिषष्टिशलाकापुरुष-चरित : (हेमचन्द्र) ३७३,
३७५ २३० तपागच्छपट्टावली ४२७, ४२९
त्रैराशिक (एक दार्शनिक सम्प्रदाय) २०, तमिलजैन ४७४
३०१-३०४ तमिलनाडु (तमिलप्रदेश) ७२, ११०, ४७४
थेरी अपदान (बौद्धकथा ग्रन्थ) ३१३ तमिलनाडु में जैन-अभिलेखयुक्त गुफाएँ ४७७
थेरीगाथा ३४८ तमिलसाहित्य एवं भाषा के विकास में थेरीगाथा-अट्ठकथा ३४६
जैनश्रमणों का योगदान ४७८ तर्कभाषा (केशव मिश्र) १८१, ५८८ सणपाहुड (दर्शनप्राभृत) ७६ ताण्ड्य ब्राह्मण २४८
- श्रुतसागरटीका ७६, ४१६, ४३३, ताम्रलिप्तिका (गोदासगण की शाखा) ४११, । ४७६
दक्षिण (दक्षिणापथ) ७६ तित्थयर (तीर्थंकर) ३१४
दक्षिण का अचेल निर्ग्रन्थसंघ भद्रबाहु तित्थिय (तीर्थिक) ३१७, ३१८
(श्रुतकेवली) की परम्परा से विकसित तित्थोगालियपयन्नु (तीर्थोद्गालिक) ४२०, ११०, ४७६, ५५७, ५५८ ४६६
दक्षिण-प्रस्थित निर्ग्रन्थसंघ ४७४ तिन्त्रिक (तिन्त्रिणीक) गच्छ ४२९, ४३३, दक्षिण भारत में जैनधर्म (पं० कैलाशचन्द्र ५६६
___शास्त्री) ७१ तिरूकुरल (तमिलकाव्य, जैनाचार्यकृत) ४७८ दक्षिणभारतीय निर्ग्रन्थसंघ ८१, ८२, ५७१ तिलोयपण्णत्ती (त्रिलोकप्रज्ञप्ति) १०, ३३१ दक्षिण बिहार ४७४ तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्यपरम्परा दडग (मैसूर)-अभिलेख ५६६ ६५, १३७, २४९, ५८२
दरबारीलाल कोठिया, न्यायाचार्य (पं०) ५८७
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