Book Title: Jain Parampara aur Yapaniya Sangh Part 01
Author(s): Ratanchand Jain
Publisher: Sarvoday Jain Vidyapith Agra
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५९४ / जैनपरम्परा और यापनीयसंघ / खण्ड १
उदयगिरि (विदिशा, म० प्र०) ४१२ पार्श्वनाथप्रतिमा ४१२
-
उदयनाचार्य (न्यायकुसुमांजलि - कार ) २९२ उदानपालि (बौद्धग्रन्थ) ३१९, ३२२ - ३२४ उद्योतनसूरि (श्वे०) ५१५, ५२२
उपचरित नग्न १९२
उपचरित (गौण) शब्द १९२, १९३, १९७,
१९९
उपचरित ( गौण) अर्थ १९४
उपचार १९२, १९३, १९७, १९९ उपधि २४, २६
उमास्वाति ९
उरनूर ( एक स्थान ) ३८९,५५५
ऊ
ऊर्जयन्तगिरि ( गिरनार पर्वत) ३६६ ऊर्जयन्तगिरि - विवाद ३६४, ३६५
ऋ
ऋग्वेद १८, २४३, २४५ सायणभाष्य २४५
ऋद्धिप्रतिहार्य-प्रदर्शन ३३८
ऋषभ (देव) १८, ३९६- ३९८
ऋषभनाथ की सवस्त्र - प्रतिमा (श्वे० ) ४१५
ए
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एरेगित्तूगण - पुलिकल्गच्छ ५६२ एलक २८७ - २८९
एलोरा की बाहुबली - प्रतिमा ४१२ ऐ
ऐर (आर्य) ५३६, ५३७
=
ऐलवंशज ५३७, ५३८
ओ
ओदातवसन (अवदातवसन = श्वेतवस्त्रधारी श्रावक) ३१२, ३२०, ३२४, ३२५, ३३७ क
कंस ( मथुराधिप ) ३७४, ३७६ कांस्य जिनप्रतिमा ४१०
कंकालीटीला (मथुरा) ३६८, ३७१, ३७२, ४३२
एकशाटक (एकसाटक) ४८१
एकशाटक सम्प्रदाय १६३, ३२०, ३२२, ३२३ कनकोपलसम्भूत - वृक्षमूलगण ( यापनीय )
एकशाटी (एकसाटी = एकसाड़ीधारिणी
३९०, ५७०
आर्यिका ) ३४८, ३५०
कर्जन म्यूजियम ऑफ आर्किओलॉजी मथुरा
एकसम्बी (बेलगाँव, मैसूर) - अभिलेख ५६३ ए० चक्रवर्ती नयनार (प्रोफेसर) ७० ए० एन० उपाध्ये (आदिनाथ नेमिनाथ उपाध्ये, डॉ०, प्रो०) ६२, ७५, ४३४, ४९९, ५०४
कटवप्र ७१ कटिवस्त्र, कटिपट्ट कटिबन्ध, (चोलपट्ट) १७, ९८, ३७०
कड़ब (कड़प) दानपत्र (अभिलेख) ५६३, ५६५
कण्डूर् (काण्डूर, काडूर) गण ४९२, ५६५ कण्ह (कृष्ण) ३७०, ३७९
कण्ह श्रमण ३७७, ३७८, ३७९ कदम्बवंश १४१
कनकपुर ५२७
३९५ कर्मवाद (कर्मसिद्धान्त) २९९ कर्मसंन्यासी २७८
कलिंगजिन - प्रतिमा ४०५ - ४०८, ५२९
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