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प्रमाण
जैसे दर्पण पदार्थके आकारको अपनेमें धारण करता है, वैसे श्रोत्र आदि इन्द्रियाँ पदार्थके आकारको धारण करती नहीं देखी जातीं। यदि ऐसा होता तो जैसे दर्पणमें पदार्थक झलकनेको लेकर कोई विवाद नहीं है, वैसे ही इन्द्रियोंके विषय में भी कोई विवाद न होता; क्योंकि जो बात प्रत्यक्ष सिद्ध होती है, उसमें विवादको स्थान नहीं रहता। ___ यह मान भी लिया जाये कि इन्द्रियवृत्ति कोई चीज़ है, तो भी यह प्रश्न होता है कि वह वृत्ति इन्द्रियोंसे भिन्न है या अभिन्न ? यदि अभिन्न है तो वह वृत्ति इन्द्रियरूप ही कहलायी, अर्थात् इन्द्रियां और उनकी वृत्ति एक ही हुई। किन्तु इन्द्रियां तो सोते समय भी मौजूद रहती हैं, अतः उस समय भी उनका व्यापार चाल रहनेसे सुप्त और जागृत अवस्थामें कोई अन्तर ही नहीं रहेगा।
यदि इन्द्रिय वृत्तिको इन्द्रियोंसे भिन्न मानें तो प्रश्न होता है कि वह वृत्ति इन्द्रियोंसे सम्बद्ध है या असम्बद्ध है ? यदि असम्बद्ध है तो उस वृत्तिको इन्द्रियोंकी नहीं कहा जा सकता; क्योंकि जो जिससे सम्बद्ध नहीं होता उसे उसका नहीं कहा जा सकता। जैसे सह्य और विन्ध्य पर्वत बिलकुल अलग-अलग हैं, अतः न सह्यको विध्यका कहा जा सकता है और न विन्ध्यको सह्यका। इसी तरह श्रोत्र वगैरह इन्द्रियोंसे वृत्तिका कोई सम्बन्ध न माननेपर वृत्तिको इन्द्रियोंका नहीं कहा जा सकता। ___यदि वृत्ति इन्द्रियोंसे सम्बद्ध है, तो इन दोनोंका कौन-सा सम्बन्ध है ? समवाय, संयोग अथवा विशेषण-विशेष्यभाव । समवाय सम्बन्धको तो जैन सम्बन्ध हो नहीं मानते, इसका विचार यथावसर किया जायेगा। संयोग सम्बन्ध भी नहीं बनता; क्योंकि संयोग सम्बन्ध द्रव्य-द्रव्यका ही होता है। अतः यदि इन्द्रिय और उसकी वृत्तिका संयोग सम्बन्ध माना जायेगा तो वृत्ति भी एक द्रव्य हो जायेगी। फिर वृत्तिको इन्द्रियका धर्म नहीं माना जा सकता। इन्द्रिय और उसकी वृत्तिका विशेषण-विशेष्यभाव सम्बन्ध भी नहीं बनता क्योंकि सम्बन्धान्तरसे सम्बद्ध वस्तुमें ही यह सम्बन्ध होता है। अतः विचार करनेसे इन्द्रिय वृत्ति ही नहीं बनती। तब उसको प्रमाण कैसे माना जा सकता है ?
४. ज्ञातृव्यापार पूर्वपक्ष-मीमांसक प्रभाकरके अनुयायियोंका कहना है कि सन्निकर्ष, कारकसावल्य और इन्द्रियवृत्ति भले ही प्रमाण न हों; क्योंकि उनको प्रमाण मानने में अनेक दोष आते हैं, किन्तु ज्ञातृव्यापार तो अवश्य ही प्रमाण है; क्योंकि ज्ञातृव्यापारके बिना पदार्थका ज्ञान नहीं हो सकता। कारक तभी कारक कहा जाता
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