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. जैन-जीवन देखते ही वह बोधसे लाल हो गया। लाल भी ऽनना हुमा कि मुनि मिर पर निट्टीकी पाल बांध कर धगधगते-अशारे डाल दिए । विचढ़ीकी तरह मिर सीझने लगा गर्व घोर वेदना होने लगी, किन्तु मुनिने मिरको हिलाया तक नहीं। वे परम पवित्र शुक्ल यानमे लीन हो गये। बस, निर फटने के साथ ही कांकि वन्धन भी हद गये और नमाके आदर्श गजमुनि अजर-अमर एवं अविचल मोक्षमे पधार गये।
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