Book Title: Jain Jivan
Author(s): Dhanrajmuni
Publisher: Chunnilal Bhomraj Bothra

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Page 114
________________ + १४ धर्म एटले शु? १५ परीक्षक वनो । उर्दू १६ जीवन- प्रकाश संस्कृत १ देवगुरधर्म - द्वात्रिशिका २ प्रास्ताविक श्लोकशतकम् मूल्य ६२ न. पै. ३ एकाह्निक- श्री कालुशतकम् ४ श्रीकालुगुरगा प्टकम् ५ श्रीकालुकल्याणमन्दिरम् ६. भाविनो ७५ न, दे. लेखक की अप्रकाशित रचनाएँ ७ ऐक्यम् ८. श्री भिक्षुशब्दानुशासनलघुवृत्तितद्धितप्रकरणम् गुजराती ६ गुर्जरभजनपुष्पावलि १०. गुर्जर व्याख्यान रत्नावलि हिन्दी ११. वैदिकविचारविमर्शन १२ मक्षिप्त वै दिविचारविमर्शन १३. अवधान - विधि १४. संस्कृत बोलनेवा मरल तरीका प्राप्तिस्थान नेमीचन्द - नगीनचन्द जवेरी । 7 चन्द्रमहल १३०, कोसमोमन स्ट्रीट, बबई- २ श्री जैन श्वे ते सभा नाभा ( पञ्जाब ) १५. दोहा-सदोह १६. व्याख्यानमरिणमाला 1 १७. व्याख्यान रत्नमञ्जूषा १८. जैनमहाभारत आदि बीन व्याख्यान १६ उपदेशसुमनमाला २० उपदेश द्विपञ्चाशिका राजस्थानी २१. धनवावनी २२. सवैयाशतक २३. औपदेशिक ढालें २४. प्रास्ताविक ढाले २५ कथाप्रवन्ध २६. छ. बडे व्याख्यान २७ ग्यारह छोटे व्याख्यान २८. सावधानी से समुद्र } पञ्जाबी २६. पञ्जाव पच्चीसी M f 1 '

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