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प्रसङ्ग इक्कीसवां किज्जमाणे कड़े
(जमालि) भगवान् महावीरका कथन है किज्जमाणे कडे अर्थात् जो काम करना शुरू कर दिया वह किया ही कहलाता है क्योंकि कितनेक अंशोंमें तो वह हो ही चुका । जैसे-यदि कोई किसी गांवको लक्ष्य करके चल पड़ा उसे गाव गया कहा जाता है। ऐसे ही कपड़ा बुनना शुरू हो गया उसे बुनाही कहते हैं । जमालि इसी विषय पर सन्देह करके पतित हुआ था।
जमालि भगवान् महावीरका संसारपक्षीय दामाद था। प्रभुकी वाणी सुनकर पांच-सौ क्षत्रियकुमारोंके साथ उसने दीक्षा
ली थी। उसकी पत्नी प्रियदर्शना भगवान्की पुत्री थी, वह भी __ हजार स्त्रियोंके परिवारसे साध्वी बनी थी। दीक्षाका विस्तृत वर्णन भगवतीसूत्र में है।
जमालिके शंका ग्यारह अंग पढ़कर जमालि प्रभुकी आज्ञासे पॉच-सौ साधुओंका मुखिया । वनकर विचरने लगा। इधर महासती प्रियदर्शना भी एक हजार साध्वियोंके परिचारसे गांवों-नगरोंमे धर्मका प्रचार करने लगी। एक बार जमालिमुनि सावत्थी नगरीके तिन्दुक घनमें ठहरा हुआ था। कुछ अस्वस्थताके कारण एकदिन उसने अपने साधुओंसे संथारा-बिछौना बिछाने के लिए