Book Title: Jain Jivan
Author(s): Dhanrajmuni
Publisher: Chunnilal Bhomraj Bothra

View full book text
Previous | Next

Page 103
________________ प्रसङ्ग वाईसवां दीक्षा और निर्वाण - दूसरे चोर भी संयम लेनेको तैयार हो गए तथा वर- कन्याओंके माता-पिता भी। पॉच-सौ सत्ताईसके परिवारसे श्री जम्बू कुमारने सानन्द दीक्षा ली और श्री सुधर्मस्वामीके पट्टधर हुए अस्तु ! इस भरवक्षेत्र में अन्तिमकेवली भी ये ही थे।

Loading...

Page Navigation
1 ... 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117