Book Title: Jain Jivan
Author(s): Dhanrajmuni
Publisher: Chunnilal Bhomraj Bothra

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Page 85
________________ + प्रसङ्ग उन्नीसवां महान् अभिग्रह फला 7 1 चन्दनवाला महासती चन्दनवाला महारानी धारणीकी पुत्री थी । उसके C पिता चम्पा नगरीके महाराज दधिवाहन थे । चन्दनबालाका जन्मनाम वसुमती था । किन्तु विशेष शीतल होनेके कारण चन्दना एवं चन्दनबाला होगया | माताकी शिक्षा पाकर राजकुमारी बहुत ही धार्मिक-संस्कारवाली बन गई । अाक्रमण एक बार कौशाम्बिपति राजा शतानीकने चम्पानगरी पर अचानक आक्रमण कर दिया। महाराज दधिवाहन भाग गए । दुश्मनकी सेनाने तीन दिन तक शहर में लूट-खसोट की जिसके जो कुछ हाथ लगा, ले भागा। एक सैनिक राजमहल मे आया और रूपसे मोहित होकर रानी एव राजकुमारीको ले चला । वह इतना अधिक कामातुर हो गया कि जंगलमे ही जबरदस्ती अत्याचार करने की चेष्टा करने लगा | महारानीने शीलभंगका अवसर देखकर अपनी जीभ खीचकर प्राणोंका ' बलिदान कर दिया । हाथ पकड़ लिया माताके भरते ही चन्दनबाला भी जीभ खींचकर मरने लगी । सैनिकने उसका हाथ पकड़ लिया और रोता हुआ अपने अपराधकी क्षमा मांगने लगा तथा धर्मकी पुत्री बनाकर राज 1

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