Book Title: Jain Hiteshi 1914 Ank 01 02 Author(s): Nathuram Premi Publisher: Jain Granthratna Karyalay View full book textPage 8
________________ . जैनहितैषी तो हम अपने परिश्रमको सफल समझेंगे । हमारा उद्देश जैनसमाजका ध्यान जैनइतिहासकी ओर आकर्षित करनेका है। श्रवणबेलगुल-यहाँ गोमठस्वामीकी विशाल मूर्ति विन्ध्यगिरि पर्वत पर है, जो लगभग ६० फीट ऊँची है। मूर्तिकी बाई ओर पत्थरका एक बड़ा बरतन है, जिसमें मूर्तिके प्रक्षालके लिए जल रहता है। इस बरतनका नाम है ललितसरोवर, जो इसके सामनेवाले पर्वत पर खुदा हुआ है। जब ललितसरोवर भर जाता है तब जितना जल अधिक होता है वह एक नालीके द्वारा बह जाता है । मूर्तिके पास एक पैमाना ( स्केल ) ३ फीट, ४ इंचका खुदा हुआ है। इसके ठीक बीचमें पुष्पके आकारका चिह्न बना है, जिससे पैमानेके दो बराबर हिस्से हो जाते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि इस पैमानेकी लम्बाईको १८ से गुण करनेसे मूर्तिकी ऊँचाई निकल आती है; परन्तु १८ से ही क्यों गुणा किया जाय, इसका कारण नहीं मालूम । कुछ लोग कहते हैं कि यह पैमाना एक धनुष्की लम्बाईका सूचक है; परन्तु धनुष् ३३ हाथका होता है, ३ फीट, ४ इंचका नहीं। इस पैमाने पर हालमें ही ध्यान दिया गया है। परन्तु इस बातका पता अब भी नहीं लग सका है कि इसका क्या अभिप्राय है। मूर्तिके सामने घटे पर एक नया लेख मिला है, जो प्राचीन नहीं है। मूर्तिके चारों ओर अनेक तीर्थंकरों, और बाहुबलिस्वामी इत्यादिकी कुल ४१ प्रतिमायें हैं । अब यह मालूम हो गया है कि प्रत्येक प्रतिमा किस किसकी है। इस पर्वत पर अनेक मंदिर हैं। इनमेंसे एकमें Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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