________________
() नन्नुल. इसके कता प्रसिद्ध पवनदी ( भवनन्दिन ) थे, जिन्होंने यह ग्रंथ चोल वंशक कुलोत्तुंग तृतीयके एक जागीरदार अमराभरण सिपा गंगाके अनुरोधसे १२ वी शताब्दिके अंतमें लिखा था, क्योंकि यह भली भांति मालूम है कि कुलोत्तुंग तृतीय ईस्वी सन् ११७८ में सिंहासनारूढ हुए थे। इस ग्रंथमें केवल वर्णों और शब्दोंका विवरण है और वर्तमान कालमें अधिकतामे प्रामाणिक समझा जाता है।
(६ । नेमिनिटम पंडित गुणवीर कृत एक व्याकरण ग्रंथ है जिसमें वो और शब्दोंका विवरण है । इसमें ९६ गाथायें हैं और उनकी टिप्पणियां भी हैं।
(ज) काप ---चडामणि निघंटु, मंडलपुरुष कृत, १२ अध्यायोमें है और दो अन्य कोश। - दिवाकरनिघंटु' और 'पिंगलंतई के आधार पर है । मंडलपुरुपने अपने आपको उत्तरपुराणके कर्ता गुणभद्राचार्यका शिष्य बताया है । क्योंकि यह अच्छी तरह मालूम है. कि उत्तरपुराण ईस्वी सन् ८८८ में समाप्त हुआ और क्योंकि मंडलपुरुपने राष्ट्रकूटवंशीय राजा अकालवर्ष कृष्णराजका वर्णन किया है जो इम्बी मन ८७.५ और ९११ के मध्यमें राज्य करते थे, अतएव यह ग्रंथ इम्बी सन्की १० वीं शताब्दिके प्रथम चतुर्थीशमें लिखा गया होगा।
( झ ) ज्योतिष-जिनंद्रमलई, जो कि ज्योतिषका सव- प्रिय तामिल ग्रंथ है। प्रायः इसके रचयिता जिनेन्द्र व्याकरणके कर्त्ता (पूज्यपाद ) थे।
८-हमको वर्तमान कालमें जैनियों कृत केवल उपर्युक्त ग्रंथ ही मालूम हैं । मद्रास यूनिवर्सिटी ( विश्वविद्यालय ) ने अपनी आर्ट्स परीक्षाओंके लिए इनमें से कई ग्रन्थोंको पाठ्य पुस्तकें नियत कर दिया है। इनमेंसे अधिकांश ग्रन्थोंको आधुनिक तामिल विद्वानोंने, जो कि अजैन
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org