Book Title: Jain Hiteshi 1913 Ank 02
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 72
________________ हिन्दी-साहित्यकी उन्नतिकी चेष्टा । हिन्दीमें उच्च श्रेणीके ग्रन्थोंका अभाव देखकर हमने जैनग्रन्थरत्नाकर कार्यालयकी शाखाके रूपमें हिन्दीग्रंथरत्नाकर नामकी एक संस्था स्थापित की है। इसकी ओरसे हिन्दीके ही सर्वसाधारणोपयोगी अच्छे अच्छे ग्रंथ प्रकाशित किये जाते हैं। हिन्दीके नामी नामी लेखकोंने इसके लिए ग्रन्थ लिखना स्वीकार किया है। अब तक इसकी ओरसे पाँच ग्रन्थ प्रकाशित हुए हैं-१ स्वाधीनता, २ मिलका जीवनचरित, ३ प्रतिभा, ४ फूलोंका गुच्छा, और ५ आँखकी किरकिरी ! इन सत्र ही ग्रन्थोंकी सरस्वती, भारतमित्र, श्रीव्येंकटेश्वरसमाचार, हिन्दी चित्रमय जगत् , नागरी प्रचारक, शिक्षा, मनोरंजन आदि प्रसिद्ध पत्रोंने मुक्तकण्ठसे प्रशंसा की है। दो तीन ग्रन्थ और तैयार हो रहे हैं । आशा है कि हमारे जैनी भाई इन सब ग्रन्थोंको मँगाकर अपने ज्ञानकी वृद्धि करेंगे। प्रतिभा उपन्यास । मानवचरितको उदार और उन्नत बनानेवाला, आदर्श धर्मवीर और कर्मवीर बनानेवाला हिन्दीमें अपने ढंगका यह पहला ही उपन्यास है । इसकी रचना भी बड़ी ही सुन्दर प्राकृतिक और भावपूर्ण है । पक्की कपड़ेकी जिल्द सहित मूल्य सवा रुपया, सादी जिल्दका १) जान स्टुअर्ट मिलका जीवनचरित। . स्वाधीनता आदि प्रसिद्ध प्रसिद्ध ग्रन्थों के बनानेवाले और अपनी लेखनीकी शक्ति से यूरोपमें एक नया युग प्रवर्तित कर देनेवाले इस विद्वान्का जीवनचरित प्रत्येक शिक्षित पुरुषको पढना चाहिए । इसे जैनहितैषीके सम्पादक श्रीयुत नाथूराम प्रेमीने लिखा है। मूल्य चार आने । Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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