Book Title: Jain Hiteshi 1913 Ank 02
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 85
________________ - पवित्र असली, २० वर्षकी आजमूदा, सैकड़ों प्रशंसापत्र प्राप्त, प्रसिद्ध हाजमेकी, अक्सीर दवा, नमक सुलेमानी फायदा न करे तो दाम वापिस । यह नमक सुलेमानी पेटके सब रोगोंको नाश करके पाचनशक्तिको बढ़ाता है जिससे भूख अच्छी तरह लगती है, भोजन पचता है और दस्त साफ होता है। आरोग्यतामें इसके सेवनसे मनुष्य बहुतसे रोगोंसे बचा रहता है । इसके सेवनसे हैजा, प्रमेह, अपच, पेटका, दर्द, वायुशूल, संग्रहणी, अतिसार, बवासीर, कब्ज, खट्टी डकार, छातीकी जलन, बहुमूत्र, गठिया, खाज खुजली आदि रोगोंमे तुरन्त लाभ होता है । बिच्छू, भिड, बरोंके काटनेकी जगह इसके मलनेसे लाभ होता है। स्त्रियोंकी मासिक खराबीकी यह दुरुस्ती करता है। बच्चोंके अपच दस्त होना, दूध डालना आदि सब रोगोंको दूर करता है । इससे उदरी, जलोदर, कोष्टवृद्धि, यकृत् , प्लीहा, मन्दाग्नि, अम्लशूल और पित्तप्रकृति आदि सब रोग भी आराम होते है। अतः यह कई रोगोंकी एक दवा सब गृहस्थोंको अवश्य पास रखनी चाहिये । व्यवस्थापत्र साथ है। कीमत फी शीशी बड़ी ॥) आठ आना। तीन शी० १); छह शी०२॥); एक दर्जन५) डांकखर्च अलग। दद्रदमन-दादकी अक्सीर दवा । फी डिब्बी।) आना। दन्तकुसुमाकर-दांतोंकी रामबाण दबा । फी डिब्बी। ) आना। नोट-हमारे यहां सब रोगोंकी तत्काल गुण दिखानेवाली दवाएं तैयार रहती हैं। विशेष हाल जाननेको बड़ी सूची मंगा देखो। मिलनेका पता: चंद्रसेन जैनवैद्य इटावा। lain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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