________________
सरस्वती-सम्पादक पं० महावीरप्रसाद द्विवेदीकृत
स्वाधीनता।
__ अर्थात् प्रसिद्ध तत्त्ववेत्ता जॉन स्टुअर्ट मिलकी लिबर्टीका हिन्दी अनुवाद
और जैनहितैषीके सम्पादक श्रीयुत नाथूराम प्रेमी कृत
जा० स्टु० मिलका विस्तृत जीवनचरित। यह हिन्दी साहित्यका अनमोलरत्न, राजनैतिक सामाजिक और मानसिक स्वाधीनताके तत्त्वोंका अचूक शिक्षक, उच्च स्वाधीन विचारोंका कोश, अकाट्य युक्तियोंका आकर, और मनुष्यसमाजके ऐहिक सुखोंका सच्चा पथप्रदर्शक ग्रन्थ प्रत्येक घर और प्रत्येक पुस्तकालयमें विराजमान होना चाहिए।
जिन सिद्धान्तोंका विवेचन इस ग्रन्थमें किया गया है इस समय उनके प्रचारकी बड़ी भारी जरूरत है। जिन्होंने इस ग्रन्थको पढ़ा है, उनका विचार है कि इसके सिद्धान्तोंको सोनेके अक्षरोंमें लिखवाकर प्रत्येक मनुष्यको अपने पास रखना चाहिए । बिना ऐसे ग्रन्थोंके प्रचारके हमारे यहांसे अन्धपरम्परा और संकीर्णताका देशनिकाला नहीं हो सकता।
ग्रन्थकी भाषा सरल बोधगम्य और सुन्दर है। .' सुन्दर छपाई, मजबूत कपड़ेकी मनोहर जिल्द, मिल और द्विवेदीजीके दो चित्र । पृष्ठसंख्या ४००, मूल्य दो रुपया ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org