Book Title: Jain Hiteshi 1913 Ank 02
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Jain Granthratna Karyalay

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Page 78
________________ पश्चिमी तर्क। पाश्चात्य विद्वानोंद्वारा आविष्कृत न्यायशास्त्रके विषयोंका हिन्दीमें सरल ग्रंथ । मूल्य एक रुपिया। पतिव्रता। इस पुस्तकमें सती, सुनीति, गान्धारी, सावित्री, दमयन्ती, और शकुन्तला इन छह पतिव्रताओंका चरित लिखा गया है। इसकी भाषा बड़ी सरल और सरस है। मूल्य ॥) बाला पत्रबोधिनी। यह पुस्तक लड़कियोंके लिये बड़े कामकी है, इसमें पत्र लिखनेके नियम आदि बतानेके अतिरिक्त नमूनेके पत्र भी छपे हैं। इस पुस्तकसे लड़कियोंको पत्र.लिखनेका ज्ञान तो होगा, किन्तु अनेक उपयोगी शिक्षायें भी प्राप्त हो जांयगी । मूल्य ।) मथिलीशरण गुप्त कृत काव्य-ग्रन्थ । जयद्रथबध-यह वीर और करुणा रसका बिलक्षण काव्य है। कविता मर्मज्ञ विद्वानोंने इस काव्यकी मुक्त कंठसे प्रशंसा की है । बम्बईके सुप्रसिद्ध निर्णयसागरमें मोटे और चिकने कागजपर बड़ी सुन्दरतासे छपा है । मूल्य ॥) रंग भंग-इस पुस्तकमें एक महत्त्व-पूर्ण ऐतिहासिक घटनाका वर्णन है । कविता बड़ी सरस और प्रभावशालिनी है। बहुमूल्य आटपेपर पर छपी है। मूल्य ।) पद्य-प्रबन्ध-यह गुप्तजीकी भिन्न भिन्न विषयोंपर अनेक ओजस्विनी कविताओंका अपूर्व संग्रह है। पद्यसंख्या ५०० से भी ऊपर है । मूल्य सिर्फ दश आना। मिलनेका पता:हिन्दी ग्रन्थरत्नाकर कार्यालय हीराबाग, पो. गिरगांव-बम्बई। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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