Book Title: Jain Gitavali
Author(s): Mulchand Sodhiya Gadakota
Publisher: Mulchand Sodhiya Gadakota

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Page 9
________________ अनुक्रमणिका ॥ विवाह में॥ नंबर. चाल. प्रथम पट या टेक. १ हाजू प्रथमदि मुमति जिनेवर ध्या. प्रेम प्रमोद रहल निनबर की. ११ हाहां वे कि हंईवे चार धानिया कर्म नागके. १२ , जुआं माम मद चोरी केल्या. अष्ट करम की फौजें आई. १४ , अब की वेलां अवसर पार्यो. १५ बोले मोरे भाई मुरग लोक में जुरी अथाई. १६ छोद मोरे भाई सात व्यसन की लगी अबाई. मुमति कमति की लगी लगाई. १८ साजाना मोको अति सुन्दर मिजमानी. १९ हमारे नामाना पाच वचन ये मानिगे. ऐमी कुमति कहां पाइया. २१ हमारे रामाना एम चेतन मग भूलिया. २२ हमारे रामाना मुघर चेतन व पनियां . २३ मन हटकीथी जरने फर्म उदय हो जाये. २४ नुनन हो काल अनन्त निगोद गया.

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