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[ १६ ] अध्याय ७: सोलहवीं शताब्दी से अठारहवीं शताब्दी को
जैन धर्म साध्वियों एवं विदुषी महिलाएं भावलक्ष्मी २००, आर्यिका पल्हणश्री २००, विनयचूला गणिनी २०१, आर्यिका रणमति २०१, आर्या रत्नमति २०२, मुगलकाल में साध्वियाँ एवं श्राविकाओं का अस्तित्व २०३, चम्पा श्राविका का तप २०३, तेरापंथी सम्प्रदाय में साध्वियाँ एवं विदुषी महिलाएँ २०४, माता दीपाबाई २०४, अब्बुजी का विशेष प्रण २०४।
परिशिष्ट १
समकालीन जैन साध्वियाँ १. दिगम्बर सम्प्रदाय की अर्वाचीन आर्यिकायें
-ज्ञानमती माताजी २. श्वे० खरतरगच्छ की साध्वी परम्परा और समकालीन २३७ साध्वियाँ
-डॉ० शिवप्रसाद ३. श्वे० खरतरगच्छीय सुखसागर महाराज के समुदाय की २४८
साध्वी परम्परा का परिचय -संतोष विनयसागर जैन ४. खरतरगच्छीय प्रवर्तिनी सिंहश्रीजी म. के साध्वी समुदाय का २५५ परिचय
-साध्वी हेमप्रभाश्रीजी ५. स्थानकवासी आचार्य अमरसिंहजी की परम्परा की जैन २६४ साध्वियाँ
-उपाचार्य देवेन्द्रमुनिजी ६. स्थानकवासी ऋषिसम्प्रदाय की साध्वियों का संक्षिप्त परिचय २७९
-पं० र० मोती ऋषिजी ७. स्थानकवासी पंजाबी सम्प्रदाय की प्रमुख साध्वियाँ
-साध्वी सरलाजी परिशिष्ट २ वर्तमान जैन साध्वी समुदाय के आँकड़े ३०५
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