________________ विषयानुक्रमणिका *विषय पृष्ठ क्रमांक प्रथम अध्याय : जैनधर्म का उद्भव और विकास 1-35 जैनधर्म का उद्भव-१, यति एवं व्रात्य-३, तीर्थंकरों से पूर्व की स्थिति-५, कालचक्र-५, कुलकर-८, त्रैसठ-शलाकापुरुष-९, चौबीस तीर्थंकरों का सामान्य परिचय-१३, ऋषभदेव-१५, अरिष्टनेमि-१७, पार्श्वनाथ-१८, महावीर-२१, महावीर कालीन जैनधर्म-२३, तीर्थंकरों में मान्यता- भेद-२४, पार्श्व और महावीर की मान्यता में भेद-२५, महावीर निर्वाण के पश्चात् जैनधर्म की स्थिति-३०, द्वितीय अध्याय : जैन सम्प्रदायों के ऐतिहासिक स्रोत 36-46 जैन आगम साहित्य-३६, जैन मूर्तियाँ-३९, जैन गुफाएँ एवं 'मन्दिर-४१, जैन अभिलेख-४४, जैन चित्रकला-४५, तृतीय अध्याय : जैनधर्म के सम्प्रदाय 47-120 सात निह्नव और उनके सिद्धान्त-४८, शिवभूति निव-५४, चैत्यवासी प्रथा-५५, सम्प्रदाय विभाजन-५६, श्वेताम्बर सम्प्रदाय-५६, दिगम्बर मतानुसार श्वेताम्बर सम्प्रदाय को उत्पत्ति 57, दिगम्बर सम्प्रदाय-५७, श्वेताम्बर मतानुसार दिगम्बर सम्प्रदाय की उत्पत्ति-५८, श्वेताम्बर एवं दिगम्बर सम्प्रदायों की उत्पत्ति सम्बन्धी मान्यताओं का निष्कर्ष-५९, यापनोय सम्प्रदाय-५९, यापनीय सम्प्रदाय की उत्पत्ति संबंधी मान्य. तायें-६१, यापनीय सम्प्रदाय की उत्पत्ति संबंधी मान्यताओं का निष्कर्ष-६२, श्वेताम्बर संप्रदाय के उपसम्प्रदाय-६२, श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संप्रदाय-, 63, श्वेताम्बर अमूर्तिपूजक सम्प्रदाय-९२, लोकाशाह का काल-९२, लोकागच्छ का विभा, ... जन-९३, दिगम्बर सम्प्रदाय के उपसंप्रदाय- 100, यापनीय -संप्रदाय के उपसंप्रदाय,११३,