Book Title: Jain Darshan ke Navtattva
Author(s): Dharmashilashreeji
Publisher: Prachya Vidyapith Shajapur

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Page 10
________________ समर्पण ज्ञान, वैराग्य एवं विश्व-वात्सल्य की दिव्यमूर्ति विश्वसंत-विरुद-विभूषिता, गुरुवर्या महासतीजी श्री उज्ज्वलकुमारी जी म० सा० KORREDORDREDORED CREDORES ROREOGROGREOCTOCROGR2OCTSOCRORSOCIEO ZooSoso SORSOQESOR&RSQQ.com:80 VORSORSORSA SORSOQESORSOX उज्ज्वल कुमारी जी जिनके जीवन का क्षण-क्षण शुद्धात्मभाव को स्वायत्त करने की दिशा में सर्वदा संप्रयुक्त रहा, जन-जनमें विश्वमैत्री, समत्व, अहिंसा एवं अनेकान्त के महान आदर्शों को संप्रसारित करने में जो सर्वथा अविश्रांत रूप में अध्यवसायरत रहीं, उन प्रातः स्मरणीया, परमोपकारिणी महाहिमन्विता गुरुवर्या महासतीजी श्री उज्ज्वल कुमारी जी म० सा० की सेवा में सादर, सभक्ति श्रुताञ्जलि सहित समर्पित । साध्वी डॉ० धर्मशीला Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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