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प्रथम परिवर्त :
विषयानुक्रमणिका
१-२४
जैन संस्कृति की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारतीय संस्कृति की दो धाराऐं (२), श्रमण का शब्दार्थ (३), प्राचीन ऐतिहासिक भूमिका - कुलकर: एक समाज व्यवस्थापक ( ४ ), सभ्यता का उत्कर्ष - अपकर्ष काल (५), त्रेसठ शलाका पुरुष (६), भारत. की प्राचीन मूल जातियाँ (७), सिन्धु सभ्यता और जैन संस्कृति (८), वैदिक साहित्य और जैनधर्म (९), वातरशना श्रमण (१०), केशी ऋषभ (११), व्रात्य ( १२ ). अर्हन् और जैन संस्कृति (१३), तीर्थंकर और बौद्ध साहित्य (१४), ऋषभदेव (१४), अन्य तीयंकर (१५), अरिष्टनेमि (१६), पार्श्वनाथ ( १७ ), महावीर (१९), जैनेतर साहित्य के कतिपय लुप्त प्राचीन जैन उल्लेख (२३) ।
द्वितीय परिवर्त :
२५-२६
जैन संघ और सम्प्रदाय
मतभेद की भूमिका (२७), आचार्य कालगणना ( २८ ), आचार्य भद्रबाहु (३२), संघभेद (३८), अष्ट निन्हव और दिगम्बर सम्प्रसम्प्रदाय की उत्पत्ति (२८), श्वेताम्बर सम्प्रदाय की उत्पत्ति ( ४१ ), दिगम्बर संघ और सम्प्रदाय (४६), मूलसंघ (४७), नन्दिसंघ (४८), सेनसंघ (४८), द्राविडसंघ (५०), काष्ठासंघ (५१), यापनीय संघ (५१) भट्टारक प्रथा (५३), तेरहपंच और बीसपंथ (५५), तारणपंथ (५६), श्वेताम्बर संघ और संप्रदाय (५६), चैत्यवासी (५७), विविध गच्छ (५७), तपागच्छ (५८), पार्श्वनाथ गच्छ (५९), (५९), : पूर्णिमा एवं सार्धं पूर्णिमा गच्छ (५९), आगभिक गच्छ (५८), अन्यग (५९) स्थानकवासी सम्प्रदाय (६०), तेरापत्य सम्प्रदाय (६१) १.