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(१३७), आत्मा की शक्ति (१३८), आत्मा और काल (१३९ जीक के पश्च स्वतमन (१४०), जैनेतर दर्शनों में अम्मा (१४३), भारतीय दर्शन (१४३), पाश्चात्य दर्शन (१४४), पुगक (अजीब) (१४५), स्वरूप और पर्याय (१४५), पुक्मल और मन (१४९), अबीर स्कन्ध (१५०), भौतिकवादी दर्शनों में पुद्गल (१५२), पुद्गल और आधुनिक विज्ञान (१५३), सृष्टि सर्जना (१५३), पाश्चात्य दर्शन में सृष्टि-विकार ( १५५), कर्म सिद्धान्त (१५६), स्वरूप और विश्लेषण (१५१), कर्म सिद्धान्त की प्राचीनता ( १५७), कर्मबन्ध ( १५८), प्रकृतिबन्ध (१६१), स्थितिबन्ध, ( १६२), अनुभाग बन्ध (१६३), प्रदेशबन्ध (१६३), कषाय और लेण्या (१६५), धर्मद्रव्य और अधर्मद्रव्य (१६६), आकाश द्रव्य (१६७), अन्य भारतीय और पाश्चात्य दर्शनों में आकाश (१६७), काल द्रव्य (१६८), अन्य भारतीय और पाश्चात्य दर्शनों में काल (१७०), लोक का स्वरूप ( १७० ) ।
पञ्चम परिवर्त :
१७५-२५०
जैन ज्ञान-मीमांसा
क्षेत्र और स्वरूप (१७७), परीक्षावादी महावीर (१७८), साध्य की प्राप्ति का मूल मन्त्रः रत्नत्रय ( १७८), ज्ञान और दर्शन (१८० ) सम्यक् दर्शन (१८२), सम्यग्ज्ञान और सम्यक्चारित्र (१८३) ज्ञान और दर्शन की युगपत् अवस्था (१८४), ज्ञान अथवा प्रमाण का स्वरूप (१८६), सन्निकर्ष (१८९), प्रमाण और नय (१९१), प्रामाण्यविचार (१९१ ). प्रमाण संप्लव (१९३), धारावाहिक ज्ञान ( १९३), ज्ञान के क्षेत्र (१९३), मतिज्ञान और श्रुतज्ञान (१९४), अवधिज्ञान और मनःपर्यायज्ञान (१९५ ( १९५), केवलज्ञान और सर्वशता (१९७), सर्वशता का इतिहास ( १९७), सर्वशता की सिद्धि (१९९), प्रमाण के भेद, (२००), मत्यमर प्रमाण (२०१), स्वरूप और भेद का इतिहास (२०१), परोक्ष प्रमाण (२०५), स्मृति प्रमाण (२०५), प्रत्यधिज्ञान (२०६), तर्क प्रमाण (२०९), अनुमान प्रमाण (२०७), अनुमान के भेद (२०८), अनुमान के अवयव (२१०), पाश्चात्य तर्कशास्त्र में अनुमान ( २११), भारतीय दर्शन में अनुमान (२१२), आगम प्रमाण (२१३), शब्द और वर्षा सम्बन्ध (२१३), ज्ञान के कारण ( २१५), सचिकर्ष (२१६), प्रमाण का फल (२१७), प्रमाणाभास (२१८), वाभाव (२१८). दृष्टान्ताभास (२१८), वादकथा (२१९), १. ( २२१)