Book Title: Jain Darshan aur Sanskriti ka Itihas
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Nagpur Vidyapith

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Page 22
________________ अगरह प्राचीन तत्त्व (२२३), २. नपवार (२२५), नय और प्रमाण (२२५), नय के भेद (२२५), शब्द नय और अर्थ नय (२२९), अर्व पर्याय और व्यञ्जन पर्याय (२२९), पालि साहित्य में नयवाद (२३०), निश्चय नय और व्यवहार नय (२३०), निक्षेप व्यवस्था (२३१), ३. स्थावाब (२३२), सप्तभङ्गी (२३३), भङ्गसंख्या (२३६), अमराविक्खेपवाद और स्यावाद (२३९), विरोध परिहार (२४४), अनेकान्तवाद और जैनेतर दार्शनिक (२४५), पाश्चात्यदर्शन और अनेकान्तवाद (२४८), एव का प्रयोग (२४९), निष्कर्ष (२४९). पष्ठ परिवर्त: २५१-३२० जैन आचार मीमांसा १. श्रावकाचार (२५३), श्रावकाचार साहित्य (२५३), श्रावक परिभाषा (२५४), श्रावकों के गुण (२५५), श्रावकाचार के प्रतिपादन के प्रकार (२५६), श्रावक के भेद (२५७). १. पाक्षिक श्रावक (२५८), २. नैष्ठिक श्रावक (२५८), ग्यारह प्रतिमायें (२५८), दर्शन प्रतिमा (२६०), सम्यग्दर्शन के आठ गुण (२६१), सम्यग्दर्शन के विघातक दोष (२६१), सम्यग्दर्शन की प्राप्ति के कारण (२६२), सम्यक्त्व के भेद (२६३), अष्टमूलगुण परम्परा (२६४), षट्कर्म (२६५), बारहव्रत (२६६), अणुव्रत (२६७), अहिंसाणुव्रत (२६७), रात्रिभोजन (२६९), सत्याणुव्रत (२७०), अचौर्याणुव्रत (२७२), ब्रह्मचर्याणुव्रत (२७३), परिग्रह परिमाणाणुव्रत (२७४), व्रतप्रतिमा (२७५), गुणवत (२७५), शिक्षावत (२७६), सामायिक प्रतिमा (२७७). प्रोषध प्रतिमा (२७८), सचित्त त्याग प्रतिमा (२७८), रात्रि भुक्तित्याग प्रतिमा (२७८), ब्रह्मचर्यप्रतिमा (२७९), आरम्भत्याग प्रतिमा (२७९), परिग्रह त्याग प्रतिमा (२८०), अनुमतित्याग प्रतिमा (२८०), उद्दिष्टत्याग प्रतिमा (२८१), ३. साधक श्रावक (२८२), सल्लेखना (२८२), आत्महत्या और सल्लेखना (२८३),मरण के प्रकार (२८४), गुणस्थान (२८६), २. मुनि आचार (२९१), मुनि आचार साहित्य (२९२), मुनिचर्या (२९३), अट्ठाईस मूलगुण (२९४) दशधर्म (३००), द्वादश अनुप्रेक्षायें (३०१), बाईस परीषह (३०३), द्वादशतप (३०३), ध्यान और योगसाधना (३०६), योग (३०९), भिक्षु प्रतिमायें (३१२), सामाचारिता (३१४), मार्गणा और प्ररूपणा (३१५), चारित्र के भेद (३१६), मोम (३१७), पाश्चात्य दर्शन में मोल (३२०).

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