Book Title: Jage Yuva Shakti
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 6
________________ इन वर्षों में अनेक बार युवा सम्मेलनों को सम्बोधित करने का प्रसंग आया है और तब-तब मैंने मुख्य रूप में एक ही बात पर बल दिया है-युवा वर्ग. सर्वप्रथम अपना चारित्रिक निर्माण करें । चरित्र-बल ही सबसे पवित्र बल है । जिसका चरित्र ऊंचा, उसका जीवन ऊंचा। - युवावर्ग में चारित्रिक एवं नैतिक गुणों का किस प्रकार विकास हो और उससे उनका जीवन किस प्रकार निखरेगा, इन्हीं कुछ बिन्दुओं पर प्रस्तुत लघु निबंध में चिन्तन प्रस्तुत किया है। यह निबंध भी लघु है, और पुस्तक का आकार भी लघु है । आजकल लघु संस्करणों की मांग है, अतः यह लघु संस्करण सबको आकार-प्रकार विषय वस्तु की दृष्टि से प्रिय लगेगा, ऐसा विश्वास है।

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