Book Title: Jage Yuva Shakti
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 39
________________ (३७) संसार का भौतिक व आध्यात्मिक वैभव बलहीन, दुर्बल व्यक्तियों को प्राप्त नहीं हो सकता, 'वीरभोग्या वसुन्धरा - यह रत्नगर्भा पृथ्वी वीरों के लिए ही है । आत्म-विश्वास जगाने के लिए किसी दवा या टॉनिक की जरूरत नहीं है, किन्तु आपको ध्यान, योग, जप, स्वाध्याय, जैसी विधियों का सहारा लेना पड़ेगा । ध्यानयोग - जप, यही आपका टॉनिक है, यही वह पावर हाउस है, जहाँ का कनेक्शन जुड़ते ही शक्ति का अक्षय स्रोत उमड़ पड़ेगा । अतः बन्धुओ ! जीवन में सफलता और महान आदर्शों के शिखर पर चढ़ने के लिए स्वयं को अनुशासित कीजिए, आत्मविश्वास जगाइये । जो आत्म विश्वासी होगा, वह किसी न किसी रूप में परमात्मविश्वासी भी होगा । चूँकि आखिर मनुष्य ( या आत्मा) का सर्वथा निर्दोष परिपूर्ण स्वरूप ही तो ईश्वर है । अतः आत्मा में विश्वास करने वाला ईश्वरनिष्ठ होगा, चाहे

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