Book Title: Jage Yuva Shakti
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 41
________________ (३९ हमेशा सीना तानकर खड़ा हो सकता है। चरित्रवान् की नाक सदा ऊँची रहती है। । युवा वर्ग को अपनी शक्तियों का उपयोग करने के लिए यह जरूरी है कि वह सर्वप्रथम अपने आचरण पर ध्यान देवें, चरित्रवान बनें। आज की परिस्थितियों में चरित्रवान या सदाचारी बने रहना कुछ कठिन अवश्य है, परन्तु असम्भव नहीं है और महत्व तो उसी का है जो कठिन काम भी कर सकता हो । आज खान-पान में, व्यवहार में, लेन-देन में, मनुष्य की आदतें बिगड़ रही हैं । व्यसन एक फैशन बन गया है । बीड़ी-सिगरेट, शराब-जुआ-सिनेमा, गन्दा खाना और फिजूलखर्ची-यह सब युवा शक्ति के वे घुन हैं जो उसे भीतर-भीतर खोखला कर रहे हैं । इन बुरी आदतों से शरीर शक्तियाँ क्षीण होती जाती हैं, यौवन की चमक बुढ़ापे की झुर्रियाँ में बदल जाती

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