Book Title: Jage Yuva Shakti
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 47
________________ (४५) और जो कुछ कहो सो छोड़ सकता हूँ । संत ने कहा- ठीक है, तुम सिर्फ झूठ बोलना छोड़ दो, और जो कुछ मन में आये सो करो । मणिशेखर ने संत के सामने प्रतिज्ञा कर ली - आज से, अभी से ही कभी झूठ नहीं बोलूंगा । उसी रात को मणिशेखर चोरी करने निकलता है, रात के अंधेरे में, नगर का राजा भेष बदलकर घूमता है, दोनों की मुलाकात होती है । राजा पूछता है-कौन हो तुम ? मणिशेखर सकपकाया, मगर झूठ नहीं बोला, उसने कहा- मैं गुणशेखर सेठ का पुत्र हूँ मणिशेखर ! कहाँ जा रहे हो ? चोरी करने ! राजा आश्चर्य से देखने लगा, चोर होकर सच बोलता है कि चोरी करने जा रहा हूँ ! असंभव ! जरूर मजाक कर रहा है । या फिर कोई शराबी होगा ! राजा ने

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