Book Title: Jage Yuva Shakti
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 64
________________ एक पौव फिसल गया और छपाक से नहर में डुबकियाँ लगाने लगा, चिल्लाया'बचाओ'! 'निकालो ! पीछे-पीछे आता नौकर रुका, बोला- ठहरो-अभी देखता हूँ, अपनी ड्यूटी की लिस्ट में, मालिक के नहर में गिरने पर, निकालने की ड्यूटी लिखी है, या नहीं ? तो इस प्रकार की भावना, मालिक और नौकर के बीच हो, परिवार और समाज में हो, तो वहां कौन, किसका सुख-दुख बांटेगा ? कोई किसी के काम नहीं आयेगा ? अतः आवश्यक है, आप जीवन में कर्तव्य-पालन की भावना जगाएँ । अधिकार के लिए कुत्तों की तरह छीना-झपटी न करें । संसार में जितने भी व्यक्ति सफलता के शिखर पर पहुँचे हैं, उनमें कर्तव्य-पालन की भावना अवश्य रही 'है । युवक जीवन में इन मुख्य गुणों के

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