Book Title: Jage Yuva Shakti Author(s): Devendramuni Publisher: Tarak Guru Jain GranthalayPage 45
________________ (४३) उसकी आत्मा की आवाज हमेशा दबी रहती है, अपने साथियों और मित्रों के समक्ष वह सीना तानकर खड़ा नहीं हो सकता, जबकि सत्य का आचरण करने वाला चाहे जितना दुर्बल हो, उसकी आत्मा शक्तिशाली होती है, उसका साहस बुलन्द रहता है और स्वयं उसे गौरव और बड़प्पन महसूस होता है । गांधी जी जैसे अनेक राष्ट्रीय नेता और सत्पुरुषों का जीवन हमारे सामने है। वे शारीरिक दृष्टि से चाहे जितने कमजोर रहे होंगे, धन और पद का बल भी उनके पास नहीं रहा होगा, किन्तु सत्य का बल उनके पास था, इसलिए वे कभी दबे नहीं, डूबे नहीं, डरे नहीं, बड़ी से बड़ी कठिनाई का सामना करने में सक्षम हुए और दूसरों को अपने सामने झुकाने में सफल रहे । क्या गांधी जी के समय गांधी जी से बडा विद्वान या गांधी जी से बड़ा वक्ता भारत में दूसरा नहीं था ? कई थे, परन्तु गांधी जी के समान सत्य का निष्ठावान साधक कोईPage Navigation
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