Book Title: Jage Yuva Shakti Author(s): Devendramuni Publisher: Tarak Guru Jain GranthalayPage 40
________________ (३८) उसे ईश्वर भक्त कहो, या शुद्ध चैतन्य ईश्वर में विश्वास रखने वाला परम आस्तिक । जो आस्तिक होगा, वह सदा निर्भय होगा, निष्ठावान होगा। ३. चरित्रबल बढ़ाइये-चरित्र मनुष्य की सबसे बड़ी सम्पत्ति है । एक अंग्रेजी लेखक ने कहा है ____ "धन गया तो कुछ भी नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो बहुत कुछ चला गया और चरित्र चला गया तो सब कुछ नष्ट हो गया ।" चरित्र या मॉरल एक ही बात है, यही हमारी आध्यात्मिक और नैतिक शक्ति है, मानसिक बल है, हमें किसी भी स्थिति मे किसी के समक्ष बोलने, करने या डट जाने की शक्ति अपने चरित्रबल से मिलती है । चरित्र या नैतिकता मनुष्य को कभी भी पराजित नहीं होने देती, अपमानित नहीं होने देती । सच्चरित्र व्यक्ति, अपनी नैतिकता का पालन करने वाला कभी भी किसी भी समय निर्भय रहता है और वहPage Navigation
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