Book Title: Jage Yuva Shakti
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 37
________________ (३५) कि मनुष्य अपनी मस्तिष्क शक्तियों को केन्द्रित करके उनसे इतनी ऊर्जा पैदा कर सकता है, कि एक लम्बी ट्रेन १०० किलोमीटर प्रति घण्टा की रफ्तार से चल सकती है । हजारों, लाखों टन वजन की ट्रेन चलाना, क्रेन उठाना, यह जब आपकी मस्तिष्कीय ऊर्जा से सम्भव हो सकता है, तो कल्पना कीजिए, आपकी मानसिक ऊर्जा में कितनी प्रचण्ड शक्ति (पावर) होगी। प्राचीन समय में मन को एकाग्र करके मन्त्रजाप करने से देवताओं के आकर्षण करने की घटनाएँ होती थी, क्या वे कल्पना मात्र हैं ? नहीं । मानव-मन की प्रचण्ड शक्ति से करोड़ों मील दूर बैठे देवताओं का आसन हिल सकता है, तो क्या अपने आस-पास के जगत् को, अपने सामने खड़े व्यक्ति को प्रभावित नहीं कर सकता ? इसमें किसी प्रकार के मैस्मेरिज्म या सम्मोहन की जरूरत नहीं है, किन्तु सिर्फ

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