Book Title: Jage Yuva Shakti
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 35
________________ (३३) सत्य-असत्य की पहचान का थर्मामीटर अपने पास रखिए और फिर सत्य पर श्रद्धा कीजिए, लक्ष्य पर डट जाइए । यदि आपमें श्रद्धा की दृढ़ता नहीं होगी तो आपका जीवन बिना नींव का महल होगा, आपकी योजनाएँ और कल्पनाएँ, आपके सपने और भावनाएँ शून्य में तैरते गुब्बारों के समान इधर-उधर भटकते रहेंगे । इसलिए युवा वर्ग को मैं कहना चाहता हूँ, सर्वप्रथम श्रद्धा का कवच धारण करें । विश्वास करना सीखें तो सर्वत्र विश्वास प्राप्त होगा । अफवाहों में न उड़ें, भ्रान्तियों के अंधड़ में न बहें, स्वयं में स्थिरता, दृढ़ता और आधारशीलता लायें । २. आत्मविश्वासी और निर्भय बनेश्रद्धाशीलता का ही एक दूसरा पक्ष हैआत्मविश्वास । 'विश्वास' जीवन का आधार है । जीवन के हर क्षेत्र में विश्वास से ही काम चलता है । सबसे पहली बात है, दूसरों पर विश्वास करने से पहले, अपने आप पर विश्वास करें । जो अपने पर -

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