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पुष्प, अंकुर और प्रत्येक जन्मधारी प्राणी इन्हीं तीन अवस्थाओं से गुजरता है । भगवान महावीर ने इन्हें तीन याम 'जाम' कहे हैं । 'तो जामा पण्णत्ता, पढमे जामे मज्झिमे जामे- दिन के तीन प्रहर की भाँति प्रत्येक जीवन के तीन प्रहर-अर्थात् तीन अवस्थाएँ होती है । अर्जन का काल : बाल्यकाल
__ प्रथम याम-अर्थात्-उदयकाल हैबचपन का सुहावना समय है, उदयकाल में प्रत्येक जीवधारी शक्तियों का संचय करता है । प्राण शक्ति और ज्ञान शक्ति, दोनों का ही अर्जन-संचय अथवा संग्रह बाल्यकाल में होता है । बाल्यकाल कोमल अवस्था है । कोमल वस्तु को चाहे जैसा आकार दिया जा सकता है, चाहे, जिस आकृति में ढाला जा सकता है । बाल्यकाल में शरीर और मन, बुद्धि और शरीर की नाड़ियां, नसें सभी