Book Title: Jage Yuva Shakti
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 28
________________ (२६) विवेक और विचारशीलता से काम लें, तो वे संसार में ऐसा चमत्कारी परिवर्तन कर सकते कि नरक को स्वर्ग बनाकर दिखा सकते हैं, जंगल में मंगल मना सकते हैं । इसलिए चाहिए, कुछ दिशाबोध, अनुशासन, चारित्रिक नियम, अतः मैं इसी विषय पर युवकों को कुछ संकेत देना चाहता हूँ । अनुशासन में रहना सीखो युवा वर्ग को आज सबसे पहली जरूरत है - अनुशासित रहने की, संगठित रहने की । छोटे-छोटे स्वार्थों के कारण, प्रतिस्पर्धा के कारण, जहाँ युवक परस्पर टकराते हैं, एक-दूसरे की बुराई और एक-दूसरे को नीचा दिखाने का काम करते हैं, वहाँ कभी भी निर्माण नहीं हो सकता, नवसृजन नहीं हो सकता । अनुशासन, प्रगति का पहला पाठ है। जो स्वयं अनुशासन में रहना जानता है, वह दूसरों को भी अनुशासित रख सकता है । जहाँ सब मिलकर एकजुट होकर काम करते

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