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विवेक और विचारशीलता से काम लें, तो वे संसार में ऐसा चमत्कारी परिवर्तन कर सकते कि नरक को स्वर्ग बनाकर दिखा सकते हैं, जंगल में मंगल मना सकते हैं । इसलिए चाहिए, कुछ दिशाबोध, अनुशासन, चारित्रिक नियम, अतः मैं इसी विषय पर युवकों को कुछ संकेत देना चाहता हूँ । अनुशासन में रहना सीखो
युवा वर्ग को आज सबसे पहली जरूरत है - अनुशासित रहने की, संगठित रहने की । छोटे-छोटे स्वार्थों के कारण, प्रतिस्पर्धा के कारण, जहाँ युवक परस्पर टकराते हैं, एक-दूसरे की बुराई और एक-दूसरे को नीचा दिखाने का काम करते हैं, वहाँ कभी भी निर्माण नहीं हो सकता, नवसृजन नहीं हो सकता ।
अनुशासन, प्रगति का पहला पाठ है। जो स्वयं अनुशासन में रहना जानता है, वह दूसरों को भी अनुशासित रख सकता है । जहाँ सब मिलकर एकजुट होकर काम करते