Book Title: Jage Yuva Shakti
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 31
________________ (२९) गलत आदतों पर, और उन सब भावनाओं पर बुद्धि का नियन्त्रण रखना, जिनसे व्यर्थ की चिंता, भाग-दौड़, परेशानी, हानि और बदनामी हो सकती है । मनुष्य जानता है कि मेरी यह इच्छा कभी पूरी होने वाली नहीं, या मेरी इस आदत से मुझे बहुत नुकसान हो सकता है । बोलने की, खाने की, पीने की, रहन-सहन की, ऐसी अनेक बुरी आदतें होती हैं, जिनसे सभी तरह की हानि उठानी पड़ती है, आर्थिक भी, शारीरिक भी । कभी-कभी इच्छा व आदत पर नियन्त्रण न कर पाने से मनुष्य अच्छी नौकरी से हाथ धो बैठता है, अपना स्वास्थ्य चौपट कर लेता है और धन बर्बाद कर, दर-दर का भिखारी बन जाता है, अतः जीवन में सफल होने के लिए 'आत्मानुशासन' सबसे महत्त्वपूर्ण गुर है। आत्मानुशासन साध लेने पर, सामाजिक अनुशासन, नैतिक अनुशासन और भावनात्मक अनुशासन, स्वतः सध जाते

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