Book Title: Jage Yuva Shakti
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

Previous | Next

Page 15
________________ __ (१३). व्यक्तित्व की असीम क्षमताओं का अनुमान कर लेते हैं और पुरुषार्थ की अनन्त-अनन्त शक्ति को उस मार्ग पर लगा देते हैं, जिस पथ पर बढ़ना चाहते हैं, उस पथ को अपनी सफलताओं की वन्दनवार से सजा देते हैं । जो युवक होकर भी, यौवन में अपनी क्षमता का उपयोग नहीं कर सकता, या अपने को पहचान नहीं पाता, वह जीवन की बाजी हार जाता है । इसलिए यौवन का क्षण-क्षण, एक-एक पल कीमती है, इसको व्यर्थ मत जाने दीजिए । सिर्फ कल्पना या स्वप्न देखना छोड़कर निर्माण में जुट जाइए। उत्साहः यौवन की पहचान है ___ मैं एक युवक सम्मेलन में उपस्थित हुआ था, सैंकड़ों युवक बाहर से आये थे, स्थानीय कार्यकर्ताओं ने युवकों का परिचय कराया, तो एक युवक को सामने लाकर

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68