Book Title: Jage Yuva Shakti Author(s): Devendramuni Publisher: Tarak Guru Jain GranthalayPage 23
________________ (२१) मैं युवकों को कहना चाहता हूँ, प्रत्येक वस्तु को रचनात्मक दृष्टि से देखो, विरोध-विद्रोह, विध्वंस की दृष्टि त्यागो, जो परिस्थितियाँ हमारे सामने हैं, जो व्यक्ति और जो साधन हमें उपलब्ध हैं, उनको कोसते रहने से या गालियाँ देते रहने से कुछ नहीं होगा, बल्कि सोचना यह है कि उनका उपयोग कैसे, किस प्रकार से कितना किया जा सकता है ताकि इन्हीं साधनों से हम कुछ बन सकें, कुछ बना सकें। राम ने जब लंका के विशाल साम्राज्य के साथ युद्ध की दुन्दुभि बजाई तो क्या साधन थे उनके पास ? कहाँ अपार शक्तिशाली राक्षस राज्य और कहाँ वानरवंशी राजाओं की छोटी-सी सेना । सीमित साधन । अथाह समुद्र को पार कर सेना को उस पार पहुँचाना कितना असंभव जैसा कार्य था, किन्तु उन सीमित साधनों से छोटी-सी सेना को भी राम ने इस प्रकारPage Navigation
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