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प्राथमिक प्रत्येक प्राणी के जीवन की तीन अवस्थाएं होती है-बचपन, यौवन, तथा बुढ़ापा । यौवन-जिसे जवानी, दीवानी भी कहते हैं- सबसे महत्वपूर्ण है । यह मध्यबिन्दु है । बचपन-और बुढ़ापे का सन्तुलन ही क्या, सम्पूर्ण मानव जाति का सन्तुलन ही युवा शक्ति के हाथ में है । जिस समाज, देश एवं राष्ट्र की युवाशक्ति प्रबुद्ध होगी, जागृत होगी, कर्तव्यनिष्ठ और अनुशासित होगी, वह समाज, देश व राष्ट्र अवश्य ही प्रगति के शिखर को छू सकेगा और सम्पूर्ण विश्व पर अपना नैतिक, राजनैतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक प्रभाव जमा सकेगा।