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मरु-गुर्जर की निरुक्ति
जैन समारोहों और महोत्सवों का अनुष्ठान इन राजाओं की जैन धर्म पर गहरी आस्था के सूचक हैं। राज्य में जैनधर्म के सिद्धान्त 'अहिंसा परमोधर्मः' का सर्वत्र पालन होता था। पशुहिंसा पर पाबन्दी लगा दी गई थी। समाज में वैश्यों का वर्चस्व था । वे व्यापार द्वारा धनोपार्जन करके जैन धर्म के प्रचार में उसका सदुपयोग करते थे। वे नगरवेष्ठि, दण्डनायक तथा महामात्य जैसे महत्त्वपूर्ण राजकीय पदों पर नियुक्त थे। आ० हेमचन्द्र के अतिरिक्त रामचन्द्र , उदयन आदि कई अन्य विद्वान् अपभ्रंश और मरुगुर्जर में महत्त्वपूर्ण रचनायें कर रहे थे। प्रसिद्ध जैनाचार्य सोमप्रभसरि ने कुमारपालप्रतिबोध की रचना की। चौलुक्यों की प्रशंसा में लिखा द्वयाश्रयकाव्य तथा प्रसिद्ध शब्दानुशासन इसी काल की महत्त्वपूर्ण रचनायें हैं। पाटन में कुमारपाल ने कूमार विहार बनवाया था। उसे परमाहत की विरुद दी गई थी। उसने सोमेश्वर के पास ही जैन चैत्य का निर्माण कराया था। वह स्वयम् जैन मतावलम्बी हो गया था किन्तु प्रजा पर धर्म के नाम से कोई जोर दबाव नहीं था। वह शैव धर्म का भी आदर करता था। गुजरात में जैन धर्म प्रधान धर्म हो गया था किन्तु शैव मतावलम्बी भी पर्याप्त थे और राज्य में सहअस्तित्व का लोग समादर करते थे।
शाकम्भरी और राजपूताने में जैनधर्म की स्थिति-चाहमानों के समय शाकम्भरी और राजपूताने में हिन्दू धर्म के साथ ही जैनधर्म की उपस्थिति और प्रचार की सूचना अभिलेखों से मिलती है। इन राजाओं ने अजमेर में जैनमंदिर बनवाये थे। अजयराज और पृथ्वीराज तृतीय के दरबार में जैन और हिन्दु सम्प्रदाय के आचार्य स्वतन्त्र रूप से वाद में भाग लेते थे जिसका निर्णायक स्वयम् राजा रहता था और विजेता को सहर्ष पुरस्कृत करता था।
इन राज्यों के अलावा मध्यदेश के प्रायः सभी राजवंश हिन्दू धर्म और जैनधर्म का सम्मान करते थे और संरक्षण भी देते थे । सब मिलाकर मालवा, राजस्थान एवं गुजरात में जैनधर्म, बंगाल में पाल राजाओं के समय तथा कश्मीर में बौद्धधर्म और अन्य प्रान्तों में हिन्दू धर्म (विशेषतया शैवधर्म) की प्रधानता थी । सामान्यतया राजाओं की धर्मनीति उदार थी। वे व्यक्तिगत धर्म और आस्था को न तो प्रजा पर थोपते थे न अन्य धर्मों के प्रति अनुदार थे। राजाओं ने हिन्दू, बौद्ध और जैन मन्दिर, चैत्य, विहार, मठ आदि के लिए दान दिया। वास्तुकारों ने मंदिरों में विविध देवीदेवताओं और तीर्थंकरों को उत्कीर्ण किया। इस समय जैनधर्म अपनी
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